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________________ गोकुल और मथुरा में श्रीकृष्ण २१५ श्रीकृष्ण ने उछलकर उसके दांत पकड़े, और दांतों को खींचकर मुष्टि के प्रहार से उसे वहीं समाप्त कर दिया। चम्पक बलभद्र की ओर बढ़ा तो बलभद्र ने भी उसी प्रकार उसे मार डाला। दोनों के अतुल बल को देखकर नगरवासी आश्चर्य चकित रह गये।४५ नगरवासी एक दूसरे को बताने लगे कि अरिष्ट आदि वृषभ को मारने वाले और पद्मोत्तर व चम्पक हाथी को मारने वाले ये नन्द के पुत्र कृष्ण और बलभद्र हैं । दोनों भाई जहां मल्लों का अखाड़ा था वहां पहुँचे और खाली आसन पर जाकर बैठ गये ।४६ बलभद्र ने संकेत मात्र से कृष्ण को सभी का परिचय दे दिया ।४७ कंस वध: कंस की आज्ञा से प्रथम अनेक मल्ल परस्पर युद्ध करने लगे। एक दूसरे को पराजित करने के लिए अनेक दावपेच दिखलाते हुए जन-समूह का मनोरंजन करने लगे । अन्त में चाणूर मल्ल खड़ा हुआ । उसने सभी राजाओं को युद्ध के लिए ललकारा किन्तु कोई भी राजा उससे युद्ध करने को प्रस्तुत नहीं हुआ। चाणूर ने दुबारा कहा-क्या कोई भी मेरे साथ मल्ल युद्ध करने को तैयार नहीं है ? यह ललकार सुनते ही श्रीकृष्ण अखाड़े में उतर पड़े। लोगों ने आवाज लगाई-कहां चाणूर और कहां दूधमुहा बच्चा ? लोग इस विषम युद्ध का विरोध करने लगे। किन्तु उसी समय कंस गरजाइन्हें यहां किसने बुलाया था। ये यहां आए ही क्यों ? अब तो यह कुश्ती होगी ही। कृष्ण ने लोगों से कहा--आप घबराइये नहीं । देखिए, अभी ४५. (क) त्रिषष्टि० ८।५।२६६-२६६ (ख) भव-भावना २४२५ से २४२६, पृ० १६२ (ग) हरिवंशपुराण ३६।३२-३५, पृ० ४६४ ४६. भव-भावना गा० २४३१-२४३२ ४७. (क) हरिवंशपुराण ३६।३६. पृ० ४६४ (ख) त्रिषष्टि० ८।५।२७२ ४८. (क) त्रिषष्टि० ८।५।२७४-२८३ (ख) भव-भावना २४३५-२४४२, पृ० १६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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