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________________ २१२ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण क्रोध से कहा-यशोदा ! क्या तू पूर्व के दासीभाव को भूल गई है जिससे हमारी आज्ञा का पालन करने में विलम्ब कर रही है ?'३५ बलभद्र की बात को सुनकर कृष्ण मुरझा गये। मन-ही-मन सोचने लगे कि भाई बलभद्र ने ऐसी बात कैसे कही ? इसी बीच बलभद्र ने कहा-अच्छा कृष्ण, चलो, हम यमुना में स्नान करने के लिए चलें। दोनों यमुना नदी पर पहुँचे, किन्तु कृष्ण का मुरझाया हुआ चेहरा देखकर बलभद्र ने पूछा- क्या बात है, इतने उदास क्यों हो गये हो ?' कृष्ण-भाई बलभद्र ! तुमने मेरी मां को दासी कैसे कहा ?3६ बलभद्र ने आदि से अन्त तक सारी रामकहानी सुनादी कि तुम किनके पुत्र हो, और यहां पर किस कारण से गुप्त रूप से रहना पड़ रहा है । तब श्रीकृष्ण ने कंस को मारने की प्रतिज्ञा ग्रहण की। कालिया नाग दमन : श्रीकृष्ण ने ज्योंही स्नान करने के लिए यमुना नदी में प्रवेश किया, कालिया नाग श्रीकृष्ण की ओर दौड़ा। उसकी मरिण के प्रखर प्रकाश से सारा पानी प्रकाशित हो गया। श्रीकृष्ण ने उसे कमल नाग की तरह पकड़ लिया, और उसकी नासिका नाथ कर ३५. (क) त्रिषष्टि० ८।५।२४८-२५१ (ख) भव-भावना २४०३-२४०५ ३६. (क) त्रिषष्टि० ८।५।२५२-२५४ (ख) भव-भावना २४०६ ३७. (क) रामाभिरामं रामोऽपि निजगाद जनार्दनम् । न ते यशोदा जननी नंदश्च जनको न च । किन्तु ते देवकी माता सा देवकनृपात्मजा । विश्वकवीरसुभगो वसुदेवश्च ते पिता ॥ तच्छु त्वा कुपितः कृष्णः कृष्णवर्मेव दारुणः । प्रत्यज्ञासीत् कंसवधं नधां स्नातु विवेश च ॥ -त्रिषष्टि० ८।५।२५५-२६१ (ख) भव-भावना २४१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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