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________________ २०४ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण ही समाप्त कर दिया। पूतना ने विष-लिप्त स्तन श्रीकृष्ण के मुह में दिये, पर कृष्ण का बाल बांका न हुआ, वह स्वयं ही मर गई। ____ आचार्य जिनसेन के हरिवंशपुराणानुसार एक दिन कंस के हितैषी वरुण नामक निमित्तज्ञ ने उससे कहा-राजन् ! यहां कहीं नगर अथवा वन में तुम्हारा शत्र बढ़ रहा है, उसकी खोज करनी चाहिए। उसके पश्चात् शत्र के नाश की भावना से कंस ने तीन दिन का उपवास किया, देवियां आयीं और कंस से कहने लगी कि हम सब आपके पूर्वभव के तप से सिद्ध हुई देवियां हैं। आपका जो कार्य हो वह कहिए । कंस ने कहा-हमारा कोई वैरी कहीं गुप्त रूप से बढ़ रहा है। तुम दया से निरपेक्ष हो शीघ्र ही उसका पता लगा. कर उसे मृत्यु के मुह में पहुँचाओ-उसे मार डालो। कंस के कथन को स्वीकृत कर देवियां चली गईं। उनमें से एक देवी शीघ्र ही भयंकर पक्षी का रूप बनाकर आयी। चोंच द्वारा प्रहार कर बालक कृष्ण को मारने का प्रयत्न करने लगी, परन्तु कृष्ण ने उसकी चोंच पकड़कर इतने जोर से दबाई कि वह भयभीत हो प्रचण्ड शब्द करती हुई भाग गई । दूसरी देवी प्रपूतन भूत का रूप धारण कुपूतना बन गई और अपने विष सहित स्तन उन्हें पिलाने लगी। परन्तु देवताओं से अधिष्ठित होने के कारण श्रीकृष्ण का मुख अत्यन्त कठोर हो गया था, इसलिए उन्होंने स्तन का अग्रभाग इतने जोर से चूसा कि वह बेचारी चिल्लाने लगी। श्री मद्भागवत के अनुसार कंस कृष्ण के नाश के लिए पूतना राक्षसी को ब्रज में भेजता है वह बालकृष्ण को विषमय स्तन पान कराती है। यह रहस्य श्रीकृष्ण जान जाते हैं अतः वे स्तनपान इतनी उग्रता से करते हैं कि पूतना पीडित होकर वहीं मर जाती है ।१८ यमलार्जुनोद्धार : श्रीकृष्ण बड़ी ही चंचल प्रकृति के थे। एक स्थान पर टिककर नहीं रहा करते थे। अतः परेशान होकर यशोदा उनके उदर में एक रस्सी बांध दिया करती थी। एक दिन यशोदा रस्सी बांधकर किसी १७. हरिवंशपुराण ३५॥३७ से ४२ पृ० ४५२ से ४५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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