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________________ २०२ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण संघदास गणी और आचार्य हेमचन्द्र११ के अनुसार कंस के आदेश से बालिका की नाक काट दी गई, और वह पुनः देवकी को दे दी गई। ___ आचार्य जिनसेन के अनुसार उसकी नाक चपटी की गई।१२ श्रीमद्भागवत के अनुसार विष्णु की योगमाया यशोदा के उदर से पुत्री रूप में जन्म लेकर वसुदेव के हाथ देवकी के पास पहुँचती है। और देवकी के गर्भ से जन्मे हुए श्रीकृष्ण वसुदेव के हाथ यशोदा के वहाँ पर पहँचते हैं। उस पूत्री को मारने के लिए कंस पछाड़ता है, पटकता है, पर वह योग माया होकर छिटक जाती है। वह जाती हुई यह उद्घोषणा भी करती है कि तुम्हारा शत्र, तो उत्पन्न हो चुका है। कंस को कहीं पता न लग जाय कि सातवें गर्भ का बालक जीवित है, अतः एक महीने के पश्चात् देवकी गौपूजन के बहाने गौकूल में जाती है। वहाँ अपने प्यारे पुत्र श्रीकृष्ण को देखकर वह अत्यन्त प्रसन्न होती है। उसके पश्चात् समय-समय पर देवकी गौ १०. (क) वसुदेव हिण्डी (ख) भव-भावना, २१६६ ११. छिन्ननासापुटां कृत्वा देवक्यास्तां समर्पयत् । -त्रिषष्टि० ८।५।११५ १२. विचिन्त्य शंकाकुलितस्तदेति निरस्तकोपोऽपि स दीर्घदर्शी । स्वयं समादाय करेण तस्याः प्रणद्य नासां चिपिटीचकार ।। -हरिवंशपुराण ३५॥३२, पृ० ४५२ A श्रीमद्भागवत -१०॥३॥५२ १३. तां गृहीत्वा चरणयोर्जातमात्रां स्वसुः सुताम् । अपोथयच्छिलापृष्ठे स्वार्थोन्मूलितसौहृदः ।। सा तद्धस्तात्समुत्पत्य हद्यो देव्यम्बरं गता। अदृश्यतानुजा विष्णोः सायुधाष्टमहाभुजा ।। उपाहृतोरुबलिभिः स्तूयमानेदमब्रवीत् ॥ किं मया हतया मन्द-जातः खलु तवान्तकृत् । यत्र क्व वा पूर्वशत्रुर्मा हिंसीः कृपणान्वृथा ॥ -श्रीमद्भागवत १०।४।८ से १२ पृ० २३३-३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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