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________________ 65 आध्यात्मिक पूजन-1 - विधान संग्रह क्षत् का अभिमान तजूँ, अक्षत निज भाव भजूँ। पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥ ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थ जिनबिम्बेभ्यः अक्षयपद प्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा । ले पुष्प शील के शुभ, नाशँ प्रभु काम अशुभ | पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ।। ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः कामबाण विध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा । समता रस स्वादी बनूँ, दुर्दोष क्षुधादि हनँ । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥ ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः क्षुधारोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा । निज ज्ञान सु परकाशे, अज्ञान तिमिर नाशे । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥ ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा । निज ध्येय रूप ध्याऊँ, दश धर्म सु महकाऊँ । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥ ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः अष्टकर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा । विषमय विधि फल त्यागा, शिवफल में चित पागा । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जजूँ सुखकर ॥ ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा । ले भाव अर्घ्य सुन्दर, निज विभव लहूँ जिनवर । पंचमेरू असी मंदिर, जिनबिम्ब जूँ सुखकर || ॐ ह्रीं श्री पंचमेरूसम्बन्धि अशीतिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बेभ्यः अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । जयमाला (दोहा) पंचमेरु के जिन भवन, पूजत हो आनन्द । गाऊँ जयमाला सुखद, नशें कर्म के फन्द ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003170
Book TitleAdhyatmik Poojan Vidhan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra
PublisherKanjiswami Smarak Trust Devlali
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, Religion, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
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