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________________ 106 आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह श्री सम्भवनाथ जिनपूजन (दोहा) नमूं जिनेश्वर देव मैं, अनन्त चतुष्टयवान । आवागमन रहित प्रभो ! करता भावाह्वान ।। दृष्टि-ज्ञान-सुध्यान में, सदा विराजो आप। आओ प्रभु ! सन्निकट हो, मेटो मम भवताप।। ॐ ह्रीं श्री संभवनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्री संभवनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं श्री संभवनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं। (अवतार) प्रभो ! जन्म-मरण से पार, आतमतत्त्व लखा। जीवन का सहज प्रवाह, अनादि-अनन्त दिखा॥ हे सम्भवनाथ जिनेश ! पूँजों सुखदायी। हे प्रभु तुम चरण प्रसाद, आतम निधि पाई।। ॐ ह्रीं श्री संभवनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं नि. स्वाहा। प्रभु भव-भव का संताप, सहज विनष्ट हुआ। लोकोत्तर चन्दन आप, मैं कृत-कृत्य हुआ।।हे सम्भव...।। ॐ ह्रीं श्री संभवनाथजिनेन्द्राय संसारतापविनाशनाय चन्दनं नि. स्वाहा। विभु अक्षयपद अभिराम, आप दिखाया है। अक्षत से पूजत स्वामि, चित हरषाया है।हे सम्भव...। ॐ ह्रीं श्री संभवनाथजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं नि. स्वाहा। शोभे जिन सौम्य स्वरूप, अनुपम अविकारी॥ ध्रुव ब्रह्मरूप चिद्रूप, ध्याऊँ सुखकारी॥हे सम्भव...॥ ॐ ह्रीं श्री संभवनाथजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं नि. स्वाहा। हो सहज तृप्त जिनराज, अपने माँहिं सही। संतुष्ट हुआ चित आज, वांछा शेष नहीं।हे सम्भव...॥ ॐ ह्रीं श्री संभवनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं नि. स्वाहा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003170
Book TitleAdhyatmik Poojan Vidhan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra
PublisherKanjiswami Smarak Trust Devlali
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, Religion, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
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