SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 68 क्रिया, परिणाम और अभिप्राय : एक अनुशीलन जाती है। प्रसंगानुसार आगे भी इसका विशेष स्पष्टीकरण किया जाएगा। 'अभिप्राय की वासना' समझने के लिए निम्न उदाहरण अधिक उपयोगी सिद्ध होगा। एक व्यक्ति को मधुमेह (शुगर) की बीमारी हो गई। डॉक्टर द्वारा कड़ी चेतावनी दिये जाने पर उसने मिष्टान्न, मीठे फल आदि सब कुछ खाना बन्द कर दिया। यद्यपि उसकी मिठाई खाने की क्रिया तो बन्द हो गई, तथापि पहले की आदत पड़ी थी, इसलिए उसकी मिठाई खाने की इच्छा जरूर होती थी; अर्थात् मिठाई खाने की क्रिया नहीं होती थी, परन्तु परिणाम (इच्छा) अवश्य होते थे। ___घरवालों के बार-बार टोकने से तथा मृत्यु के भय से मिठाई न खाने से कुछ ही दिनों में मानों वह मिठाई का स्वाद ही भूल गया। अब मिठाई की याद भी नहीं आती, खाने की इच्छा और क्रिया की तो बात ही क्या करना ? अर्थात् अब मिठाई खाने की क्रिया और परिणाम दोनों बन्द हो गए। एक बार वह किसी प्रीति-भोज में गया। जब उससे मिठाई खाने का आग्रह किया गया तब उसके दृढ़ता पूर्वक मना करने पर उससे पूछा गया कि क्या बात है, मिठाई पसन्द नहीं है क्या ? तब वह बोला- 'क्या बतायें भैया ! कभी हमारे भी ऐसे दिन थे कि कम से कम एक पाव मिठाई के बिना भोजन नहीं होता था, पर अब जान बचाने की मजबूरी है, इसलिए हमें मिठाई खाने का विचार भी नहीं आता' ___जरा विचार करें ! मिठाई खाने की इच्छा बिल्कुल न होते हुए भी उस व्यक्ति को मिठाई पसन्द है या नहीं ? वह मिठाई खाने में आनन्द मानता है या नहीं ? मिठाई खाने में उसकी सुख-बुद्धि ही अभिप्राय की वासना है। यद्यपि वह मिठाई नहीं खाता, उसे मिठाई खाने का राग भी नहीं है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003168
Book TitleKriya Parinam aur Abhipray
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy