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________________ क्रिया, परिणाम और अभिप्राय का जीवन पर प्रभाव 49 पुत्र प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी मानव बम बनी हुई इसी देश की नागरिक एक महिला ने उनके चरण छूने का अभिनय करते हुये मार दिया था । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी गोड़से ने नमस्कार करके छिपाकर रखी हुई पिस्तौल से मारा था। देश में ही छिपे हुये गद्दारों के कुकृत्यों का इससे अधिक प्रमाण और क्या हो सकता है ? हत्यायें करनेवाले गद्दार तो गद्दार हैं ही; देश के रक्षक बनकर भ्रष्टाचरण से देश का भक्षण करनेवाले गद्दार भी कम नही हैं। विदेशों में छिपाकर रखा गया पैसा ही यदि देश में ले आया जाए तो उसे चुकाकर हम विदेशी कर्ज से पूर्णतया मुक्त हो सकते हैं। ऐसे गद्दार राष्ट्र के हर वर्ग में मौजूद हैं। नेता हों या अधिकारी, सेना हो या पुलिस, सम्पूर्ण तन्त्र में छिपे हुये गद्दार मौजूद है। ___शायद इसी कारण से कवि ने जनता, नेताओं और फौजों को सम्बोधित करते हुये लिखा है- 'सम्हल के रहना अपने घर में छिपे हुये गद्दारों से'। गत बीसवीं शताब्दी में सोनगढ़ के सन्त आध्यात्मिक सत्पुरुष पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी ने 45 वर्षों तक मिथ्यात्व के विरुद्ध अभूतपूर्व क्रान्ति का शंखनाद करके दिगम्बर जैनधर्म के प्रचार-प्रसार के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय रच दिया है। उनकी मंगल वाणी का रसास्वादन करने पर ही मुझे ज्ञात हुआ कि छिपे हुये गद्दार न केवल राष्ट्र और समाज में बैठे हैं, बल्कि हमारे अस्तित्व अर्थात् आत्मा में भी हैं। असंख्यात प्रकार के मिथ्यात्वभाव ही हमारे भीतर छिपे हुये गद्दार हैं, जिनसे यह जगत् अनजान है। आध्यात्मिक सन्दर्भ में छिपे हुये गद्दारों का स्वरूप समझने से लौकिक सन्दर्भ में कही गई उक्त पंक्तियों का मर्म और अधिक गहराई से भासित होने लगता है। आज लाखों आत्मार्थी भाई-बहन यथार्थ तत्त्व-निर्णय करके इन मिथ्यात्वरूपी गद्दारों को जड़ से उखाड़ फेंकने में संघर्षरत हैं। ऐसा लगता है कि यह आध्यात्मिक क्रान्ति पञ्चमकाल के अन्त तक जीवन्त रहेगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003168
Book TitleKriya Parinam aur Abhipray
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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