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________________ १८० मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म २. कृरु जनपद - सरस्वती और दृशद्वती नामक नदियों के मध्य का प्रदेश कुरु या कुरुक्षेत्र कहा जाताथा (महाभारत वन पर्व तथा जैनागम ज्ञाताधर्मकथांग प्र० ८ ) वर्त्तमान 'घग्घर नदी को कइयों ने प्राचीन सरस्वती अथवा उसकी ही शाखा माना है । यह चंडीगढ़ से अम्बाला, सामाना, सिरसा, हनुमानगढ़ (मरुकोट) होकर सिन्धु नदी के साथ अरब सागर में जाकर गिरती थी। अब भी वर्षा ऋतु में इसका यही मार्ग है । यदि कुरु जनपद की उत्तरी सीमा इस नदी को माना जाए तो वर्त्तमान में लगभग समस्त हरियाणा तथा दिल्ली आदि का समावेश कुरुक्षेत्र जनपद में हो जाता है । जिसकी राजधानी हस्तिनापुर थी । इस मत की पुष्टि दो बातों से भी हो जाती है । १-- सिरसा नगर घग्घर नदी के किनारे पर आबाद है । सिरसा को जैनसाहित्य में 'सरस्वती पत्तन' भी कहा है । जिसका अर्थ होता है - 'सरस्वती नदी तटवर्ती नगर ।' वर्त्तमान में 'कुरुक्षेत्र' नगर हरियाणा प्रांत में है । प्राचीन काल में यह नगर कुरुक्षेत्र जनपद का मुख्य नगर था । अतः उपर्युक्त सारा क्षेत्र कुरुक्षेत्र में ही था, ऐसा मानना अनुचित नहीं है । कुरु जनपद की राजधानी हस्तिनापुर है ( ज्ञाता० अ० ८ ) कुरु जनपद की राजधानी हस्तिनापुर है ( महाभारत आदि पर्व ) श्राधुनिक विद्वान मेरठ से २२ मील उत्तर पूर्व में और बिजनौर के दक्षिण-पश्चिम में इसकी स्थिति मानते हैं । यह गंगा नदी के तट पर आबाद था । आज गंगा नदी यहां से कई मील पूर्व की ओर पीछे हट गई है (विविध तीर्थकल्प जिनप्रभ सूरि कृत में इसे गंगा नदी के किनारे कहा है ।) हस्तिनापुर का ही दूसरा नाम गजपुर है (जैनागम प्रज्ञापणा प० १ ) ३. सिंधु- सौवीर जनपद- - यह दो जनपदों का संयुक्त नाम है ( देखिए पाणि० पृ० २७ ) (अ) सिन्धु नदी के पूर्वी किनारे की तरफ़ पंजाब में फैला हुआ प्राचीन सिन्धु जनपद था । (आ) वर्त्तमान सिन्धु प्रांत (जो पाकिस्तान में है) का पुराना नाम सौवीर जनपद है ( पाणि० पृ० ५०) (इ) जनपदों की सीमाएं सदा बदलती रहती हैं। इस संयुक्त जनपद की प्रतिविस्तृत सीमा भी थी जिसका उल्लेख हम पहले कर आये हैं । वीतभयपत्तन - सिन्धु और सौवीर जनपदों की उदायन के समय संयुक्त राजधानी थी । केकयार्द्ध — केकय जनपद का उपनिवेश था। केकय जनपद जेहलम, शाहपुर और गुजरात ( पंजाब में एक ज़िला) प्रदेश का पुराना नाम है ( देखिये पाणि० पृ० ६७ ) केकय जनपद - व्यास और सतलुज के बीच का भूभाग है ( देखिये महाभारत भीष्म पर्व ) इस प्रकार केकय जनपद के लिए दो मत हैं। हो सकता है कि इसकी सीमाएं बदलती रही हों । किन्तु दोनों मतों से यह तो स्पष्ट है कि केकय जनपद पंजाब का ही भूभाग था । श्वेतंबिका - यह सावत्थी के समीप थी । यह सावत्थी कुणाल जनपद की राजधानी श्रावस्ति से भिन्न थी । सावत्थी पंजाब के स्यालकोट का प्राचीन नाम है । अर्थात् श्वेतंबिका राजधानी स्याल - कोट (पंजाब) के निकटवर्ती ( वर्तमान में पाकिस्तान में ) थी । पांचाल देश को भी अनेक विद्वान वर्त्तमान पंजाब को मानते हैं । इसकी राजधानी काम्पिल्य थी। हो सकता है कि सतलुज नदी से आगे के पंजाब के शेष भाग का पांचाल जनपद में समावेश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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