SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हैं। जहर की गोली को सुगरकोटेड कर देने से क्या उसका जहर समाप्त हो जाता है ? हिंसा के मनोभावों की दिशा बदलने मात्र से क्या वे अहिंसा का रूप पा सकते हैं? जातीयता की धरती हिंसा के बीज अंकुरित करने के लिए सब प्रकार से उर्वर है। साम्प्रदायिकता की विषबेल पर आने वाले फलों का परिणाम हिंसा के रूप में प्रकट होता है। छुआछूत की भावना मनुष्य के मन में पनप रही हिंसा की अभिव्यक्ति नहीं है तो और क्या है ? नशे की संस्कृति हिंसा के अतिरिक्त अन्य भयंकर अपराधों की भी जननी है। चुनावी हिंसा का बुखार तो लाइलाज बनता जा रहा है। घरबारी लोगों के लिए अर्थहिंसा से बचना संभव नहीं है, किन्तु प्रकृति का अतिमात्र दोहन क्या अनर्थ हिंसा नहीं है? आर्थिक भ्रष्टाचार से कौन-सी अहिंसा फलित होती है? हिंसा के ये नए-नए चेहरे इतने खौफनाक हैं कि इनके कारण देश में असुरक्षा और अनिश्चिन्तता की भावना दिनोंदिन अधिक पुष्ट होती जा रही है। हिंसा के इस गहरे अन्धकार में लोग भयभीत हैं। प्रातःकाल घर से बाहर जाते समय उनके मन में यह आशंका रहती है कि सांझ तक सहीसलामत घर लौट पाएंगे या नहीं। इस अंधेरे में कोई प्रकाशदीप है तो वह है संकल्प की चेतना, व्रत की चेतना। व्रत भारतीय संस्कृति का प्राणतत्त्व है। व्रत और कानून में अन्तर है। कानून आरोपित होता है, व्रत स्वीकृत होता है। कानून टूटता है तो व्यक्ति को ग्लानि नहीं होती। कानून तोड़ने से यदि कोई डरता है तो उसके परिणाम से डरता है, दण्ड से डरता है। व्रत या संकल्प टूटता है तो व्यक्ति का मन ग्लानि से भर जाता है। जब तक वह उसका प्रायश्चित्त स्वीकार नहीं कर लेता, शान्ति से नहीं जी सकता। इसी कारण मैंने व्रत शब्द को अपने मिशन के साथ जोड़ा। लोक कल्याणकारी यह मिशन 'अणुव्रत' और कुछ नहीं, मनुष्य को अच्छा मनुष्य-सत्पुरुष बनाने का उपक्रम है। सत्पुरुष बनाने का उपक्रम : ७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy