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________________ है। वहां पर जन क्रांति या सैनिक क्रांति कुछ भी कहें, हुई है। वहां का बादशाह हिंसा का भक्ष्य बन गया है । इससे सारे विश्व में चिंता और भय का वातावरण बन गया है। किस क्षण युद्ध छिड़ जाए, हिंसा का ताण्डव नृत्य शुरू हो जाए, कहा नहीं जा सकता। एक तरफ अमेरिका एवं ब्रिटेन शांति / सुरक्षा के नाम पर अपनी सेनाएं भेज रहे हैं, तो दूसरी तरफ रूस उन्हें धमकी दे रहा है । इस स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि आज विश्वशांति खतरे में है। अगर विश्व का एक किनारा अशांत है तो दूसरा किनारा शांत नहीं रह सकता । यदि संसार के एक राष्ट्र में अशांति फैलती है तो न केवल पड़ोसी राष्ट्र ही, अपितु दूर-दूर के राष्ट्र भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते । इसलिए आज अहिंसा को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने की नितान्त अपेक्षा है । इसका अर्थ यह नहीं कि मैं व्यक्तिगत जीवन में शांति की कीमत कम करके आंक रहा हूं । आध्यात्मिक क्षेत्र में उसका पूरा महत्व है, उसके अभाव में व्यक्ति का जीवन भारभूत हो जाता है, उसकी कोई सार्थकता नहीं रहती । पर विश्व वातावरण चूंकि राष्ट्रीय शांति - अशांति से प्रभावित होता है, इसलिए मैंने शांति को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने की बात कही । सह-अस्तित्व अहिंसा और विश्वमंत्री का ही एक रूप है । यह भविष्य के लिए एक शुभ संकेत है कि प्रायः सभी राष्ट्रों ने इसको सिद्धान्तरूप में स्वीकार किया है । मैं उनसे बलपूर्वक कहना चाहूंगा कि वे इस तत्व को सदैव याद रखें, भूलें नहीं, बल्कि उसे व्यवहार में उतारें । मेरी दृढ मान्यता है कि इसको व्यावहारिक धरातल मिलने से ही भाई-भाई, पड़ोसी पड़ोसी, समाज-समाज व राष्ट्र-राष्ट्र परस्पर प्रेम से रह सकेंगे और तभी विश्व में सच्ची शांति और सुख का साम्राज्य स्थापित हो सकेगा । कानपुर २० जुलाई १९५८ ९८ Jain Education International For Private & Personal Use Only महके अब मानव-मन www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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