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________________ । ५३ विश्व-शांति का मार्ग अहिंसा ही समाधान है ___ आज का मानव अशांत है । और अशांत भी वह किसी एक तरफ से नहीं, बल्कि चारों ओर से है । ऐसा कहना चाहिए कि उसकी अशांति क्रमशः अधिक व्यापक बनती जा रही है। विश्व के एक छोर से दूसरे छोर तक चारों ओर इस अशांति रूपी आग के शोले बरस रहे हैं । यद्यपि इस अशांति को मिटाने के अनेक प्रयत्न विभिन्न स्तरों पर हो रहे हैं, पर उनका कोई वांछित परिणाम नहीं आ रहा है । इसका कारण ? कारण यही कि प्रयत्न और पुरुषार्थ की दिशा सही नहीं है। आप ही बताएं, जब रास्ता ही गलत पकड़ लिया, तब व्यक्ति कितनी भी दूर क्यों न चले, मंजिल कैसे मिलेगी ? आप देख रहे हैं, बड़े-बड़े राष्ट्रों के शीर्षस्थ नेता अणुबमों, हाइड्रोजनबमों एवं राकेटों के निर्माण पर अपना ध्यान टिकाए हुए हैं। करोड़ों-करोड़ों, अरबों-अरबों रुपये इन पर खर्च किए जा रहे हैं । बड़ी तेजी से इनका निर्माण कार्य चल रहा है। कहीं-कहीं इनके परीक्षण भी चल रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि लोग हिंसा के माध्यम से शांति की प्राप्ति का प्रयास कर रहे हैं, जबकि हमारे आत्मज्ञानी ऋषि-मुनियों ने शांति का मार्ग अहिंसा बताया है। प्रश्न उपस्थित किया जा सकता है, जब भयंकर युद्ध हो रहा है, हिंसा के स्फुलिंग उछल रहे हैं, तब अहिंसा शांति स्थापित कैसे कर सकेगी ? पर इसके साथ ही प्रतिप्रश्न यह पैदा हुए बिना भी नहीं रहेगा, क्या हिंसा से शांति स्थापित हो सकेगी ? अब समझने की बात यह है कि हिंसा तो स्वयं अशांति है, अशांति का कारण है, बल्कि सबसे बड़ा कारण है। उसके माध्यम से शांति की प्राप्ति का प्रयत्न करना उतना ही निरर्थक है, जितना निरर्थक खून से सने कपड़े को खून से धोने का प्रयत्न । हिंसा से युद्ध की आग में घी सींचने का काम ही हो सकता है, पानी डालने का कदापि नहीं । पानी डालने का काम तो अहिंसा का है। वही एकमात्र इस कार्य को करने में सक्षम है। राष्ट्रीय स्तर पर शांति का प्रसार हो वर्तमान विश्व की स्थिति पर ध्यान दें। ईराक एक छोटा-सा राष्ट्र विश्व-शांति का मार्ग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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