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________________ प्रवचन १८ | संकलिका • साधक भीतरी लड़ाई लड़ता है। • बाहर में उसका परिणाम मैत्री-संधि । • चक्रवर्ती भरत और बाहुबली का युद्ध वास्तव में मोह की विशाल सेना और चैतन्य की सेना के बीच । • साधक चक्रवर्ती भरत नहीं, बाहुबली बने । • प्रेक्षा है-शक्तिशाली चक्र । • प्रेक्षा है-दष्टियुद्ध-भीतर की गहराई में देखना । • विधि का ज्ञान-सफलता का वरण । • श्रद्धा का अर्थ है-आकर्षण, इच्छा। • श्रद्धा के साथ समर्पण का योग । • समर्पण का सूत्र है-अरहते सरणं पवज्जामि, सिद्धे सरणं पवज्जामि, ___ साहू सरणं पवज्जामि, केवली पन्नत्तं धम्म सरणं पवज्जामि । • साधना के विघ्न-प्रमाद, अकर्मण्यता, आलस्य । • दस और दस साठ-यह है मानना । • दस और दस बीस-यह है जानना। • सफलता के चार सूत्र-पुरुषार्थ, श्रद्धा, समर्पण और सत्यनिष्ठा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003132
Book TitleKisne Kaha Man Chanchal Hain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1985
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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