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________________ श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का काव्यमूल्य एवं रसभाव योजना १७१ ___प्यारे श्रीकृष्ण ! तुम घट-घटवासी हो । सबके हृदय को जानते हो। तुम्हें इस प्रकार निष्ठुरता परे वचन नहीं करना चाहिए । हम तुम्हारे शरण में आये हैं हमें स्वीकार कर लो। जब भगवान देवकी के गर्भ में आते हैं तो राक्षसों से संत्रस्त देव, ऋषि आदि भक्तगण भगवान् के शरणागत होते हैं--- सत्यात्मकं त्वां शरणं प्रपन्नाः ॥ अंतकाल में वृत्रासुर धनुष-वाण फेंककर सम्पूर्ण सांसारिक इच्छाओं का परित्याग कर अनन्य भाव से भगवान के दयामय स्नेहासिक्त चरणों की छाया ग्रहण करती है। भगवान् की शरणागति छोड़कर उसे किसी प्रकार की वैभव-विलास, राज्यसमृद्धि की आवश्यकता नहीं। वंशस्थ छन्द के द्वारा वह भक्त अपने हृदय में निहित भावों को अभिव्यक्त कर देता है न नाकपृष्ठं न च पारमेष्ठ्यं न सार्वभौमं न रसाधिपत्यम् । न योगिसिद्धीरपुनर्भवं वा समजस त्वा विरहय्य काङ क्षे॥ प्रपत्ति में समर्पण की प्रधानता होती है। भक्त अपने प्रियतम के लिए ही जीवन धारण करता है। उसका जो कुछ भी है वह सब उसके हृदयपति के लिए है। सम्पूर्ण हृदयस्थ भावनाओं के सहित शरीर एवं इन्द्रियों को भगवत्सेवा के लिए समर्पित कर देना चाहता हैवाणी गुणानुकथने श्रवणौ कथायां हस्तौ च कर्मसु मनस्तव पादयोनः। स्मृत्यां शिरस्तव निवासजगत्प्रणामे दृष्टिः सतां दर्शनेऽस्तु भवत्तनूनाम् ॥' दिव्य रूप प्राप्त नलकूबर मणिग्रीव स्तुति करते हैं-प्रभो ! हमारी वाणी आपके मंगलमय गुणों का वर्णन करती रहे, हमारे कान आपकी रसमयी कथा में लगे रहें, हमारे हाथ आपकी सेवा में तथा मन आपके चरणकमलों की स्मृति में रम जाएं । यह सम्पूर्ण जगत् आपका निवास स्थान है इसलिए हमारा मस्तक सबके सामने झुका रहे। संत आपके साक्षात् शरीर हैं, मेरी दृष्टि सदा उनकी दर्शन करते रहे। इस प्रकार स्तुतियों में शरणागति या प्रपत्ति भाव की प्रधानता है । ६. जिज्ञासा भाव श्रीमद्भागवत की कतिपय स्तुतियों में जिज्ञासा भाव की भी प्राप्ति १. श्रीमद्भागवत १०.२.२६ २. तत्रैव ६.११.२५ ३. तत्रव १०.१०.३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003125
Book TitleShrimad Bhagawat ki Stutiyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Pandey
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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