SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्षपक के नाम भी परस्पर समसामयिक नहीं हैं, नेमिचन्द्र का समय विक्रम की ग्यारहवीं शती के पूर्वार्धमें पडता है, तब जिनदासगणि क्षपक को यदि निशीथ की विशेष चूणि का निर्माता जिनदासगणि महत्तर मान लिया जाय तो इनका सत्ता समय विक्रम की आठवीं शती के उत्तरार्ध में पडेगा जो संगत हो सकता है, परन्तु एक दो का समर्थन मिल जाने मात्र से महानिशीथ का हरिभद्रसूरि द्वारा उद्धार होना प्रमाणित नहीं हो सकता, हमने श्री हरिभद्रसूरि के लगभग ६० ग्रन्थ पढे हैं, पर उनमें महानिशीथ के उद्धार की बात तो क्या उसका नाम निर्देश तक नहीं मिलता। इस स्थिति में 'महानिशीथ सूत्र दीमक ने खंडित कर दिया था और शासनवात्सल्य से आचार्य हरिभद्रसूरि ने इसको अन्यान्य शास्त्र पाठों के आधार से व्यवस्थित किया और सिद्धसेन दिवाकर आदि ८ श्रुतधर युग प्रधान आचार्यों ने इसे प्रामाणिक ठहराया' इत्यादि दन्तकथा सत्य होने में कोई प्रमाण नहीं है। (१) अध्ययन:--महानिशीथ का प्रथमाध्ययन “सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं' इस सूत्र से प्रारम्भ होता है, इसमें साधु साध्वियों को अपने पापों का प्रायश्चित्त करने का २२२ गाथाओं में उपदेश किया है और इसी कारण से इस अध्ययन का नाम 'शल्योद्धरण" रक्खा है। ____ इस अध्ययन के अंत में सांकेतिक लिपि में गद्यपाठ दिया है, जिसमें से "श्रतदेवताविद्या" का उद्धार होता है, वह पाठ "ॐ नमो कोठबुद्धीणं, ॐ नमो पयाणुसारीणं, ॐ नमो संभिण्णसोईणं, ॐ नमो खीरासवलद्धीणं, ॐ नमो सवोसहिलद्धीणं, ॐ नमो अक्खीणमहाणसलद्धीण, ॐ नमो भगवओ अरहओ महइमहावीरवद्धमाणस्स, धम्मतित्थंकरस्स, ॐ नमो सव्व तित्थंकराणं, ॐ नमो सव्वसिद्धाणं, ॐ नमो सव्वसाहूणं, ॐ नमो भगवतो मइनाणस्स, ॐ नमो भगवओ सुयणाणस्स, ॐ नमो भगवओ ओहिणाणस्स, ॐ नमो भगवतो, मणपज्जवणाणस्स, ॐ नमो भगवओ केवलणाणस्स, ॐ नमो भगवतीए सुयदेवयाए, सिज्झउ में सुयाहिवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy