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________________ ३२६ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण कहीं अवश्य भूल है अक्टू० ५८ कानून या शक्ति के प्रयोग से सुधार सम्भव नहीं १५ मार्च ५९ कार्यकर्ता साहस और दृढ़ निश्चय से काम लें १५ अग० ५८ केवल धर्माचरण का बाहरी स्वांग रचने से आत्महित नहीं होता १ मार्च ५६ कौन थे आचार्य भिक्षु ? १६ सित० ८२ क्या धर्म हमारे विकास का बाधक तत्त्व है ? १६ सित ० ८४ क्या मानवता पैसों के हाथ बिक जायेगी ? १ जन० ५७ क्या मेरी अहिंसा विफल हुई ? १ फर० ७१ क्रांति की चिनगारियां जन० १ जून ४९ क्रोध रोग की औषधि क्या है ? १६ दिस० ८४ गांधीजी और उनका कर्तृत्व १६ अक्टू० ६९ गांधीजी के भक्त कहलाने वाले लोग भी अनैतिकता में किसी से पीछे नहीं हैं १५ जुलाई ५७. गुरु कैसा हो ? १ अप्रैल ५९ गोहत्या, अस्पृश्यता और भारतीयकरण १६ मई ७० घटनाओं के सन्दर्भ में अनेकांत १ अग० ७८ चरित्र और शांति परस्पर परिव्याप्त हैं १ दिस० ५५ चारित्रिक क्रांति का अग्रदूत : विद्यार्थी १ जून ५८ चारित्रिक दुर्बलता : राष्ट्रीय अभिशाप १६ सित० ७२ छात्र और धर्म १६ फर० ६८ छोटे-बड़े की भावना आने पर आत्मा का अस्तित्व भुला दिया जाता है १५ जून ५६ जटिल पहेली १५ दिस० ५८ जनतंत्र की सफलता के मौलिक सूत्र १६ अग० ८४ जनता का तन्त्र २६ जन० ६० जनता का धर्म १ जुलाई ६६ जब तक लोग धनकुबेरों को महान् मानेंगे, स्थिति कभी __ नहीं सुधरेगी १५ अग० ५७ जयन्ती उत्सव' जन० २१ नव० ४८ जहां अनेकांतिकता है, वहां कलह है, चिनगारियां हैं १ अप्रैल ५७ जीता जागता उपदेश १५ सित० ५६ जीवन का क्लेश कैसे मिटे ? १५ जन० ५९/१५ मार्च ६५ १. जन्मदिन पर प्रदत्त । - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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