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________________ परिशिष्ट २ व्यावहारिक जीवन में अणुव्रतों की उपयोगिता व्रत ज्ञान देता है और कानून दंड शक्ति, अभिव्यक्ति और विरक्ति शस्त्र-परिज्ञा शान्ति और सद्भावना के वातावरण को बढ़ाएं शान्ति : कहां और कैसे ?२ शान्ति का द्वार : क्षमा शान्ति का मार्ग : संयम शान्ति का मूल : अहिंसा शान्ति का राजमार्ग : संयम शान्ति का साधन : संयम और आत्म-नियंत्रण शान्ति का स्रोत-आत्मा शान्ति की खोज शान्ति की खोज में शान्ति की प्यास भभक उठी शान्ति की समस्या शान्ति के बिना आनन्द कहां ? शान्ति के लिए जड़वाद को मिटाएं शान्ति धर्म-सापेक्ष है शाश्वत सत्य शाश्वत सत्य और सामयिक सत्य शासन-व्यवस्था में जैन धर्म शास्त्र विवेचन शिक्षक और शिक्षार्थी शिक्षकों और विद्यार्थियों से शिक्षण और नैतिक विकास शिक्षा : एक अनुचितन शिक्षा का लक्ष्य अर्थार्जन नहीं, जीवन विकास शिक्षा के साथ अध्यात्म का योग शिक्षार्थियों का प्रमुख कर्तव्य : चरित्र-निर्माण २ फर० ५८ ३१ मार्च ६१ फर० ६९ २८ दिस०६९ १८ अक्टू० ७० १० अप्रैल ६६ २८ मार्च ८२ २९ अप्रैल ५६ २ जून ६८ २६ जुलाई ८० १५ मार्च ५९ १५ मार्च ५९ ६ अप्रैल ६९,२४ मई ७० १ फर० ७० १ फर० ५९ २७ जुलाई ६९ ३ जन० ६५ ५ नव० ६१ २४ नव०६३ ९ नव० ६९ ७ नव० ७१ ५ अक्टू० ६९ मार्च ६९ १७ दिस० ७२ जून ६९ २० अक्टू० ६८ ७ जून ८१ ४ जन० ५९ ५ सित०७१ २८ मार्च ५४ १. १४-९-६७ अहमदाबाद । ३.३१-३-५६। २. १४-२-६६ स्वागत समारोह, भादरा। ४. १९-१०-६७ अहमदाबाद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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