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________________ ३१६ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण विद्यार्थी दमितेन्द्रिय हो १७ नव० ७४ विरोध : प्रगति का साधक ३ नव० ६८ विरोध भावना व्यक्ति की अपनी उपज होती है २६ जन० ५८ विरोध में ही क्रांति है १६ अक्टू० ४९ विवशता ९ जून ५७ विवशता ही जेल है ३ जन० ६० विवेक और साधना २८ जून ६४ विवेक में धर्म है। २१ जुलाई ६३ विश्व का महान शान्तिदूत ७ जून ६४ विश्व शान्ति में अणुव्रत का योग १२ जून ६६ विसर्जन २९ जून ६९ विसर्जन का अर्थ १२ अक्टू० ६९ विसर्जन की पद्धति १ मार्च ७० विसर्जन स्वस्थता का चिह्न है १३ जुलाई ६९ वीतराग कौन है ? ५ अग० ६३ वीर कौन है ? २ नव० ६९ वे ही मेरे आराध्य हैं ५ मई ६३ वैराग्य का अमिट रंग ५ अप्रैल ७० व्यक्ति अपने स्वार्थों का उत्सर्ग करना सीखे २ मई ६५ व्यक्ति और संघ १९ जन० ६९ व्यक्ति का संस्कार ही मूल बात १९ अग० ५६ व्यक्ति के मूल्यांकन का आधार ८ दिस० ६३ व्यक्तिगत परिग्रह और सामुदायिक परिग्रह ५ मार्च ७२ व्यक्तिवादी मनोवृत्ति १३ नव० ६६ व्यक्ति सुधार से ही शासन सुधार संभव है १५ सित० ६३ व्यक्ति ही समष्टि का मूल २७ जून ७१ व्यापकता की छाया में ७ जुलाई ६३ व्यापारियों से १९ अप्रैल ५९ व्यापारी प्रामाणिक हो जुलाई ६९ १. २८-६-६३ । ४. १०-८-५६ अणुव्रत प्रेरणा समारोह, २. ७-९-६७ अहमदाबाद। सरदारशहर। ३. ३०-८-६७ अहमदाबाद । ५. २३-६-७३ सुजानगढ़ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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