SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 445
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३३ ७३ १८५ ८४ ८० ४९ Mr योगसाधना प्रेक्षाध्यान और विपश्यना मनहंसा चित्त की एकाग्रता के प्रकार ज्योति से प्रयोग ही सर्वोत्कृष्ट प्रवचन है। प्रवचन ५ आत्म दर्शन का प्रथम बिन्दु बीती ताहि बदलने की प्रक्रिया खोए शिविर साधना प्रेक्षा संस्कार-निर्माण का स्वस्थ उपक्रम : शिविर दोनों उपसंपदा के सूत्र प्रेक्षा प्रेक्षाध्यान की उपसंपदा प्रेक्षा प्रयोगों की मूल्यवत्ता मुखड़ा जप, ध्यान और कायोत्सर्ग खोए दीर्घश्वास प्रेक्षा श्वास प्रेक्षा प्रवचन ५ श्वास को देखना : आत्मा को देखना मुखड़ा श्वास दर्शन' मंजिल १ दीर्घश्वास की साधना प्रेक्षा एक क्षण देखने का चमत्कार बीती ताहि दीर्घश्वास प्रेक्षा बीती ताहि ध्यान से अहं चेतना टूटती है या पुष्ट होती है ? प्रेक्षा कायोत्सर्ग : तनाव-विसर्जन की प्रक्रिया' जागो ! शरीर प्रेक्षा शरीर प्रेक्षा है शक्ति दोहन की कला प्रेक्षा स्वभाव परिवर्तन की प्रक्रिया : शरीर प्रेक्षा प्रेक्षा चैतन्य केन्द्रप्रेक्षा आध्यात्मिक विकास के लिए अनुपम अवदान । प्रेक्षा भाव परिवर्तन का अभियान प्रेक्षा चैतन्य केन्द्रों का जागरण : भाव तरंगों का परिष्कार प्रेक्षा चैतन्य केन्द्रों का प्रभाव प्रेक्षा N १०४ १९ २१४ ११२ १०८ १२९ ११७ १२५ १२१ १.१-९-७० रायपुर। २. ३१-१०-७७ जैन विश्व भारती। ३. १-११-७७ लाडनूं । ४. १३-२-७७ छापर। ५. २४-११-६५ दिल्ली। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy