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________________ उनका अर्थ पकड़ना कठिन हो जाता है बौद्ध साहित्य और जैन साहित्य के कुछ श्लोक अक्षरशः मिलते हैं । महाभारत के भी सैकड़ों श्लोक उत्तराध्ययन सूत्र से मिलते हैं । कोई कहता है, जैनों ने महाभारत से लिया है। कोई कहता है, बौद्धों ने जैनों से लिया है और कोई कहता है, महाभारत ने जैनों से लिया है । हमारा अध्ययन बढ़ना चाहिए। आज की दुनिया में अध्ययन के बिना काम नहीं चल सकता । स्कूलों में विद्यार्थी राम और कृष्ण के विषय में पढ़ते हैं, महावीर के बारे में नहीं जानते । जो जानते हैं, वह भी पूरा सही नहीं जानते । अहिंसा के विषय में जितना बल महावीर ने दिया, उतना 'बुद्ध ने नहीं दिया । हमारी उपेक्षा के कारण या उदासी के कारण आज सारी दुनिया कहती है कि अहिंसा व करुणा का उपदेश बुद्ध ने दिया है। आज साधन बढ़ गए हैं । 'बाबा वाक्यं प्रमाणं', आपके बच्चे भी नहीं मानेंगे। नए सन्दर्भ, नये परिवेश में धर्म की व्याख्या करनी होगी । Jain Education International धर्म और विज्ञान १५३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003116
Book TitleDharma ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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