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________________ तोड़ो मत : जोडते रहो एक व्यक्ति ने पूछा-भगवान् की शक्ति ज्यादा है या शैतान की। मैने उत्तर दिया- भगवान् की शक्ति ज्यादा है। नहीं, यह गलत बात है। भगवान् की शक्ति दिखाई नहीं देती, शैतान की शक्ति हमारे सामने है। वह जब चाहे बिगाड़ सकता है। शैतान दुनिया में भरे पड़े है, पग-पग पर हैं। पर भगवान कहीं दिखाई नहीं देता। तुम्हारा तर्क भी ठीक है, मेरा तर्क भी ठीक है। कैसे? बानाने में समय ज्यादा लगता है, बिगाड़ने में कुछ भी समय नहीं लगता। बुद्ध से एक व्यक्ति ने उपदेश देने की प्रार्थना की। उपदेश मांगने वाला व्यक्ति चोर था, डाकू था, बुरा आचरण करने वाला था। बुद्ध ने कहा-उपदेश बाद में दूंगा। पहले तुम सामने वाले पेड़ से पांच पत्तियां तोड़ लाओ। वह गया, पांच पत्तियां तोड़कर ले आया। उसे तोड़ने में एम मिनट भी नहीं लगा। बुद्ध ने कहा-इन पांच पत्तियों को फिर जोड़ आओ। वह बोला-यह काम संभव नहीं है। तोड़ना मेरे वश की बात थी पर जोड़ना मेरे वश की बात नहीं है। मैं तोड़ सकता हूं जोड़ नहीं सकता। बद्ध ने कहा-सही संबोधि है। तोड़ो मत, जोड़ने में लगे रहो। - आचार्य महाप्रज्ञ sain Education internationalन विस्थ Favateersonal vapi Jain Education International For Private & Personal Use Only (राwanelivary.org www.jainelibrary.org
SR No.003093
Book TitleRushabh aur Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size5 MB
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