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________________ में रहता हुआ अकेला रहे । आचार्य भिक्षु ने कहा है- ' गण में रहे निर्दाव अकेलो।' साधु संघ में रहे, किन्तु अकेला होकर रहे, किसी के साथ दलबन्दी न करे, गाढ़ सम्बन्ध न बनाए । वास्तव में धार्मिक वही होता है जो समूह में रहता हुआ अकेला रहे । वह एकत्व की भावना से अभिभूत हो । भगवान महावीर ने 'एकत्व अनुप्रेक्षा' को बहुत महत्त्व दिया । उन्होंने कहा - 'पुरुष ! तू अपने को इस भावना से भावित करता रहे कि तू अन्ततः अकेला है । समाज मात्र एक उपयोगिता है । जीवन यात्रा को चलाने के लिए वह एक आलम्बन मात्र है । वास्तव में तू अकेला है ।' 'एक उत्पद्यते तनुमान्, एक एव विपद्यते ' - व्यक्ति अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही मरता है । 'एक एव हि कर्म चिनुते, सैककः फलमश्नुते - व्यक्ति अकेला ही कर्म का बंध करता है और अकेला ही उन कर्मों को भोगता है । वीतराग ही नहीं, वास्तव में हम भी अकेले हैं । किन्तु भ्रान्तिवश हम मान बैठे हैं कि हमारा समूह है, परिवार है, समाज है । यह मिथ्या-दृष्टि है, इसे तोड़ना है । प्रश्न - पदार्थ पदार्थ है, व्यक्ति व्यक्ति है । यदि इनमें कोई परस्पर सम्बन्ध न हो, राग न हो तो फिर समाज का काम कैसे चलेगा? उत्तर - इस स्थिति में समाज का काम बहुत समुचित ढंग से चलेगा, समस्या से मुक्त होकर चलेगा। एक ओर भोजन है, दूसरी ओर भूख है । यदि व्यक्ति सम्यग् - दृष्टि से यह स्वीकार करता है कि यह भोजन है और यह भूख है। भोजन से भूख शान्त होती है । उस रूप में पदार्थ को मात्र उपयोगिता के रूप में स्वीकार करता है तो वह अधिक नहीं खा सकेगा, जितनी भूख है उतना ही खाएगा, किन्तु जब पदार्थ के साथ प्रियता जुड़ जाती है तब व्यक्ति भूख को शान्त करने के लिए भोजन नहीं करता; जितनी भूख है उतना ही नहीं खाता, वह खाता है प्रियता की सम्पूर्ति के लिए। वह खाता है स्वाद के वशीभूत होकर । यह भ्रान्ति टूटनी चाहिए कि हम प्रियता के लिए पदार्थ का सेवन न करें, केवल प्रयोजन को पूरा करने के लिए उसका उपयोग करें। पदार्थ पदार्थ है और उसका उपयोग पारस्परिकता है । एक का उपयोग दूसरे तनाव और ध्यान (२) १५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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