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________________ जैन धर्म : हिन्दुस्तान के विविध अंचलों में १५७ हुआ तब उस पर ईंटों का आच्छादान चढ़ाया गया । जैन परम्परा के अनुसार यह परिवर्तन महावीर के भी जन्म के पहले तीर्थङ्कर पाश्वनाथ के समय हो चुका था । इसमें कोई अत्युक्ति नहीं जान पड़ती । उसी इष्टिकानिर्मित स्तूप का दूसरा जीर्णोद्धार लगभग शुंगकाल में दूसरी शती ई० पू० में किया गया ।" इस विवरण से डा० वासुदेवशरण अग्रवाल का यह अभिमत कि ' ई० पू० के आरम्भ से मथुरा के समीप इसका अधिक प्रसार हुआ था' बहुत मूल्यवान् नहीं रहता । उत्तर प्रदेश में प्राप्त पुरातत्त्व और शिलालेखों के आधार से भी जैन धर्म के व्यापक प्रसार की जानकारी मिलती है । 'ईसवी सन् के आरम्भ से जैन प्रतिमा के आधार - शिला पर (बौद्ध प्रतिमा की तरह) लेख उत्कीर्ण मिलते हैं । लखनऊ के संग्रहालय में ऐसी अनेक तीर्थङ्कर की मूर्तियां सुरक्षित हैं, जिनके प्रस्तर पर कनिष्क के ७६ या ८४ वें वर्ष का लेख उत्कीर्ण है । गुप्तयुग में भी इस तरह की प्रतिमाओं का अभाव न था, जिनके आधार - शिला पर लेख उत्कीर्ण हैं । ध्यानमुद्रा में बैठी भगवान् महावीर की ऐसी मूर्ति मथुरा से प्राप्त हुई है । गु० स० १३३ ( ई० स० ४२३) के मथुरा वाले लेख में हरिस्वामिनी द्वारा जैन प्रतिमा के दान का वर्णन मिलता है । स्कन्दगुप्त के शासन काल में भद्र नामक व्यक्ति द्वारा आदिकर्तृन की प्रतिमा के साथ एक स्तम्भ का वर्णन कहौम ( गोरखपुर, उत्तर प्रदेश) के लेख में है—-श्रेयोऽर्थ भूतनत्यं पथि नियमवतामहंतामादिकन् । पहाड़पुर के लेख (गु० स० १५६ ) में जैन विहार में तीर्थङ्कर की पूजा निमित्त भूमिदान का विवरण है, जिसकी आय गंध, धूप, दीप, नैवेद्य के लिए व्यय की जाती थी- “विहारे भगवतां अहंतां गंधधूपसुमनदीपाद्यर्थम् ।"" ईसा की चौथी शताब्दी में आचार्य स्कन्दिल के नेतृत्व में 'मथुरा' में जैन आगमों की द्वितीय वाचना हुई थी ।' चम्पा कौशाम्बी की राजधानी चम्पा भी जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र थी । १. महावीर जयन्ती स्मारिका, अप्रैल १९६२, पृ० १७-१८ । २. प्राचीन भारतीय अभिलेखों का अध्ययन, पृ० १२५ । ३. नंदी, मलयगिरि वृत्ति, पत्र ५१ । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003060
Book TitleSanskruti ke Do Pravah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages274
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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