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________________ महाव्रत प्रकरण पदार्थ। ७. द्विपद-दो पैर वाले दास-दासी या तोता-मैना आदि पक्षी। ८. चतुष्पद-चार पैरों वाले हाथी-घोड़ा-ऊंट-बैल आदि। ९. कुप्य-धातु के बर्तन एवं सभी प्रकार के उपयोगी उपकरण। ये सब बाह्य परिग्रह माने जाते हैं। बाह्य परिग्रह के दस प्रकार भी उपलब्ध होते हैं-१. क्षेत्र २. वास्तु ३. धन ४. धान्य ५. ज्ञातिजनों का सहयोग ६. यान ७. शयन ८. आसन ९. दास-दासी १०. कुप्य। प्रश्न १८. आभ्यन्तर-परिग्रह कितने प्रकार का होता है? उत्तर-आभ्यन्तर-परिग्रह के चौदह प्रकार है-१. हास्य-विनोद, २. रति असंयम में अनुराग, ३. अरति-संयम में उदासीनता, ४. भय, ५. शोक, ६. जुगुप्सा-घृणा, ७. क्रोध, ८. मान, ९. माया, १०. लोभ, ११. वेद अर्थात् विकार, १२. राग, १३. द्वेष, १४. मिथ्यात्व।। प्रश्न १६. साधु के वस्त्र-पात्र आदि उपकरण क्या परिग्रह नहीं हैं ? साधु इन्हें कैसे रख सकते हैं? उत्तर-शास्त्र का मंतव्य है कि संयम-लज्जा की रक्षा के लिए साधु जो वस्त्र पात्रादि रखते हैं, वह परिग्रह नहीं है। यदि मूर्छा की भावना आ जाए तो परिग्रह दोष लग जाता है। वास्तव में मूर्छा ही परिग्रह है। मूर्छा का निमित्त होने से शरीर को भी परिग्रह कहा गया है। अतः मुनि अपने शरीर के प्रति भी ममत्व न रखे। प्रश्न २०. रात्रिभोजनविरमण-व्रत से क्या अभिप्राय है? उत्तर–सर्वथा रात्रिभोजनविरमण व्रत की साधना है-चारों प्रकार के आहार (अशन-पान-खादिम-स्वादिम) का रात्री में उपभोग न करना, न करवाना और न करते हुए का अनुमोदन करना। प्रश्न २१. पांच महाव्रत की पच्चीस भावनाएं कौन-कौनसी हैं? उत्तर-महाव्रतों को पुष्ट रखने के लिए मन, वचन और काया की विशेष शुद्ध प्रवृत्ति का नाम भावना है। जैसे-भावनाओं के द्वारा औषधि विशेष शक्तिशाली हो जाती है, उसी प्रकार भावना के प्रयोग से महाव्रतों का पालन भी अधिकाधिक शुद्ध होने लगता है। प्रत्येक महाव्रत की पांचपांच भावनाएं निर्दिष्ट की गई हैं। १. बृहत्कल्पभाष्य उद्देशक १ सूत्र १ भाष्य गाथा ८३१ २. दसवे. ६/१६-२० ३. दसवे. ६/२१ ४. दसवे. ४/१६,६/२५ ५. समवायांग २५/१, आचा. चूला अ. १५/४४ से ७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
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