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________________ जैन दर्शन का आत्मसात करवाते हैं। बाड़मेर में सैंकडो की संख्या में बालकबालिकाओं का धार्मिक शिक्षण शिविर लगवाया। जिसके निकले विद्यार्थी आज भी धार्मिक एवं सदाचारमय जीवन यापन करते हैं। जहां कहीं भी वह युवा वर्ग मिलता है कहते है म.सा.हम आपके शिविर के विद्यार्थी हैं। अवस्था परिवर्तन से आप नहीं वह आपको पहचान जाते हैं और श्रद्धा से नतमस्तक होते हैं। बाड़मेर में विधवा व निर्बल जैन महिलाओं के लिए वर्धमान उद्योग कल्याण केन्द्र की स्थापना करवाई। जो आज दिन तक उत्तरोत्तर गति से चल रही हैं। जिससे कितनी ही मां-बहनों का जीवन निर्वाह हो रहा है। चौहटन, भरतपुर, हिण्डौन, अहमदावाद, बम्बई आदि स्थानों पर भी आपकी निश्रा में धार्मिक शिक्षण शिवरों का आयोजन होता रहा है। भरतपुर, हिण्डौन, मण्डावर, खेड़ली, अलवर आदि पल्लीवाल क्षेत्र में विचरण करके जनता को धर्मोन्मुखी बनाया। नाममात्र की जैन कहलानेवाली जनता जैन दर्शन से बिल्कुल अनभिज्ञ थी। शारीरिक अनुकूलता नहीं होने पर भी विचरण करके धर्मरूपी बीज को अंकुरित किया है / भरतपुर में धार्मिक शिक्षण शिविर लगवाया। जिसमें आस-पास के पल्लीवाल क्षेत्रों के सभी बालकबालिकाओ ने भाग लिया। मैं भी अल्पज्ञ अबोध-बालिका आपके शिविर की छात्रा रही। भरतपुर का चातुर्मास एवं जैन धार्मिक शिक्षण शिविर पल्लीवाल क्षेत्र के इतिहास में अमर हो गया। शिविर दरम्यान हुए सांस्कृतिक प्रोग्राम में दिल्ली, आगरा आदि श्री संघो के समक्ष खरतरगच्छ संघ के मंत्री श्रीमान् दौलत सिहंजी जैन एवं श्रमण भारती के संपादक श्रीमान सुरेन्द्र जी लोढ़ा ने आपश्री को पल्लीवाल उद्धारिका की पदवी से अलंकृत करना चाहा। जैसे ही आपको इस विषय की जानकारी मिली आपने स्पष्ट इन्कार कर दिया। बाद में अचानक ही स्टेज पर पहुंचकर आपके मना करने पर भी आपको “शासन ज्योति की Jain Education Internation Private & Personal Usev@mily.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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