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________________ १८८ हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन तप के महान उपसर्ग सहन होगे क्योंकर- १ *** जब धहरायेगें नभमें वर्षा के बादल तम फैला रहा गहरा भूपर काला काजल *** जिस समय भगवान दीक्षा के लिए वन की ओर प्रस्थान कर रहे हैं, उस समय माँ की ममता व विरहजन्य स्थिति का करुण चित्रण कवि अनूप शर्मा आदि कवियों ने प्रस्तुत किया है - वह गिरी बिद्ध विहंगी-सी आहत धरती पर सुत के वियोग में काँप उठी काया थर-थर ३ *** चल रही साथ माँ मनमना दीना हीना थी अस्त-व्यस्त-सी तन की सुधबुध कुछ भी ना *** वह फूट-फूट रोती जाती थी डकराती “तीर्थंकर महावीर' : कवि गुप्तजी, तृतीय सर्ग, पृ.११२ वहीं, पृ.११४ वही, पृ.१०९ वहीं, पृ.१११ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.002766
Book TitleMahavira Prabandh Kavyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyagunashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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