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________________ ॥पञ्चमो विमर्शः॥ इन्डक्रूरयुतं लग्नं तथा लग्नोदितांशकान् । थधिकांशग्रहं दूष्यगृहादागपि त्यजेत् ॥ ३० ॥ अर्थ-लग्नमां चंज के कोइ पण क्रूर ग्रह होय तो ते लग्न तजवं, तथा लग्नमां कहेला नवांशो जो चंछ के क्रूर ग्रहे करीने युक्त होय तो ते पण तजवा, तथा लग्नना श्ष्ट अंशथी अधिक अंशमा रहेला ग्रहने (चंड अथवा क्रूर ग्रहने)क्षित स्थानथी पहेला पण तजवो. सग्नमां चंड तथा क्रूर ग्रहने तजवा माटे खल्स पण कहे जे के “सौम्यग्रहयुक्तमपि प्रायः शशिनं विवर्जयेबग्ने । क्रूरग्रहं न लग्ने कुर्यान्नवपञ्चमधने वा ॥१॥" "लग्नमां चंड जो सौम्य ग्रहे करीने युक्त होय तोपण ते प्राये करीने तजवा सायक जे, (अर्थात् क्रूर ग्रहे करीने युक्त होय तो अवश्य तजवा योग्य ,) तथा खग्नमां क्रूर ग्रहने करवो नहीं एटले तजवा योग्य वे, तेज प्रमाणे नवमा स्थानमां, पांचमा स्थानमा अने बीजा स्थानमां पण क्रूर ग्रह तजवो.” तथा "लग्नस्थे तपने व्यालो १ रसातलमुखः कुजे । .. यो मन्दे ३ तमो राहो । केतावन्तकसंझितः ५॥१॥ योगेष्वेषु कृतं कार्य मृत्युदारियशोकदम् ।” "लग्नमां सूर्य रह्यो होय तो ते व्याल योग कहेवाय ने १, मंगळ रह्यो होय तो ते रसातलमुख नामनो योग कहेवाय ने १, शनि होय तो य योग ३, राहु होय तो तम योग । श्रने केतु होय तो ते अंतक नामनो योग कहेवाय बे ५. श्रा योगमां करेलुं कार्य मृत्यु, शोक अने दारिद्य आपनाएं थाय बे" एम दैवज्ञवसन कहे जे. ___ "लग्नोदितांशकान्" एटले लग्नने विषे उदित एटले कहेला जे कन्यादिक नवांशो नेते पण चंद्र के ऋर ग्रहे युक्त होय तो तजवा लायक बे, एटले के जे राशिमां चंड के क्रूर ग्रह होय ते राशिना नामवाळो लग्नेशनो (लग्नना स्वामीनो) नवांशक पण तजवा योग्य जे. ते विषे गदाधर कहे जे के "यस्मिन् राशौ नवेञ्चन्प्रस्तमंशं परिवर्जयेत् । तस्मातवेच्च वैधव्यमावर्षान्मुनयो जगुः॥१॥ यस्मिन् राशौ नवेत् क्रूरस्तमंशं परिवर्जयेत् । खग्ने मृत्युं विजानीयात् पञ्चमेऽब्दे न संशयः॥॥" ___ “जे राशिमां चंछ होय ते अंशने लग्नमां वर्जवो, कारण के तेथी एक वर्ष सुधीमां कन्याने विधवापणुं प्राप्त थाय ने एम मुनि कहे . वळी जे राशिमां क्रूर ग्रह होय भा०४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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