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________________ [२१७८ नेमिनाहचरिउ [२१७८] मरणु हविहइ सउरि-नंदणह हत्थेहिं ता नरवरिण निय-नरेहिं निरु संगहाविवि । मोयाविउ गिरिवरह गरुय-सिहरि एगहं चडाविवि ॥ निवडंतउ पुणु अद्ध-पहि अल्लिवि वेगवईए । निउ हिरिमंति सु-तिथि वर- संगमि पंच-नईए ॥ [२१७९] ता पयंपिउ पुरउ तमु - नाह तुह वइयरु सयल मई मुणिउ निय-विज्जाणुहाविण । अज्जं तु नहंगणिण वच्चिरीए हय-विहि-निओइण ॥ काउस्सग्गिण ठिउ महिहिं अक्कमियउ मुणि एगु । तयणु पलीणउ सयलु मह विज्ज-सत्ति-अइरेगु ॥ [२१८०] ___ इय अ-सक्किर नहिण वच्चेउ परिचिहुं धरणि-गय जाव ताव तुहूं इत्थ मिलियउ वसुदेवु वि अणुक्कमिण गयउ तावसासमि स-दइयउ ॥ अह अन्नय सह भारियहं सरियह तीरि पहुत्तु । नाग-पास-वद्धउं नियइ तरुणी-रयणु रुयंतु ॥ [२१८१] अह गहेविणु वेगवइ पुच्छ परिछिदिवि वालियह नाग-पास वसुदेव जंपइ । नणु सुंदरि को णु इहु वइयरु त्ति मह कहसु संपइ ॥ अह दीहुण्हुस्सास-बस- परिसुसंत-अहरिल्ल । वसुदेवह सविहिहिं कहइ दुहई सयल नियइल्ल ॥ २१७९ ६. क. काउसग्गिण. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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