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________________ ४९५ २१७७ ] नवमभवि वसुदेववुत्तंतु [२१७०] एयाई अन्नाणि वि दिन्नाई सुभूम-चक्किणा जाई। ससुरस्स मेहनायस्स ताई सयलाई सस्थाई ॥ [२१७१] जायव-कुल-गयणंगण-मंडण पव्वण-विहावरी-रमणो । दहिमुह-नहयर-पुरओ गिण्हइ जह-भणिय-विहि-पुव्वं ॥ [२१७२] अह दहिमुह-पमुहेणं नहयर-निवहेण परिवुडो चलिओ । वसुदेवो य खणेणं दिवितिलय-पुरम्मि ॥ [२१७३] अह तेण सत्तुणा सह जायं समरं तहिं महाघोरं । माहिंदत्थेण सिरं छेत्तुं च तिसेहर-निवस्स ॥ [२१७४] मोयाविउं समप्पइ पुत्ताणं विज्जुवेगमह सउरी । मुंजेइ सयं रज्जं तत्थ समं मयणवेगाए ॥ [२१७५] जाओ य अणाहिही नाम सुओ महियलम्मि विक्खाओ । अवरावसरे सिद्धाययणे वंदेउ जिण-इंदो ॥ [२१७६] नियय-दइयह समगु वसुदेवु जा पत्तउ निय-नयरि ताव कह-वि सुप्पणहि-नामिण । भइणीए तिसेहरह नयरु सयलु जालिउ खणद्धिण ॥ अवहरिऊण य रायगिह- पुरह वहिम्मि विमुक्कु । सउरि-कुमरु अह ससि-विमल-कलहं कलावि अ-चुक्कु ॥ . [२१७७] गंतु सालहं जूययाराण परिकीलिवि कं-चि खणु कोडि एग कणयह जिणेप्पिणु । वियरेविणु मागहहं निव-विहीए भोयणु करेप्पिणु ॥ जा परिकीलइ कं-चि खणु ता तमु पुरह पहुस्सु । परिसाहिउ नेमित्तिइण जह तुह नाह अवस्सु ।। २१७३. १. क. तहि. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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