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________________ २१३२ ] नवमभवि वसुदेववुत्तंतु [२१२९] अवर - अवसर भग्गसेणस्सु सह जे सोयरिण ता अवितह - नामु निय- ससुरु द संगामंगणि पविसिउण मउलिय-वयण - वियासु । भग - मड फरु लहु विहिउ सो महसेण - हयासु ॥ समरु लग्गु महसेण - नामिण | वसुदेव - वीरिण ॥ [२१३०] ता निरिक्खिवि सउरि-माहप्पु पडिवज्जिवि सेव तसु वसुदेवह गुण-नियरु वेयमि वड्डिम महिम -हरि वियरय धूय निय Jain Education International 2010_05 संहरेवि संगर- मडप्फरु । मणि धरेवि सव्वंग-सुंदरु ॥ जोव्वण - रूव- निहाण । आससेण- अभिहाण ॥ [२१३१] कालु कित्तिय- मेत्तु तहि ठाउ कोहल - हरिय-मणु सिरि- भद्दिलपुरि-नयरि जाइ तर्हि ति दयइउ तपुर - नाहेण वि निविण नेमित्तिय वयणेण । पुंड नाम निय-धूय तसु वियरिय गरुय महेण ॥ सउरि पुरह तसु नीहरेविणु । सह तीए व विसय-सुह संजायउ अंगरुहु तसु पुणु वसुदेविण गरुयकिउ पंडु त्ति समग्ग- सुहि [२१३२] असम - लक्खण- रयण-धरणीए २१२९. ५. क. ससुर; ६. क. पविविऊण. ११३१. ५. क. जाई. · भुंजिरस्सु तसु देव - कुमरह अणहु उ निय-वंस-पसरह ॥ रिद्धिण जण-अभिरामु । सयणहं पयडउं नामु ॥ एविणु ॥ For Private & Personal Use Only ४८५ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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