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________________ नेमिनाहचरिउ [ २१२५ [२१२५] सौ जि कविलह तुज्झ कन्नयह गिहिस्सइ पाणि धुवु तयणु निविण निय-नयरि सायर । घोसाविउ जह - जु मह इहु फुलिंगवयणो त्ति हय-वरु ॥ दमिउण पट्टिहिं आरुहइ सो ज्जि कविल परिणेइ । सउरि वि तसु वयणिण सयलु निय-वुत्तंतु मुणेइ ॥ [२१२६] अह तुरंगमु दमिवि लीलाए परिणेविणु ससि-वयणि कालु को-वि सह तीए चिट्ठिवि । उप्पाइवि सुय-रयणु कविल-नामु तस्सु वि पइटिवि ॥ देसंतर-गमणुम्मणिउ हुउ वसुदेवु सु जाव । नीलकंठ-खयरेण करि- रूविण हरियउ ताव ।। [२१२७] तयणु मुट्ठिण कुलिस-कढिणेण हणिऊण खयराहमु सु धरणि-वीढि पाडियउ सउरिण । अह उढिवि नह-पहिण सो पलाणु हियएण विहुरिण ॥ वसुदेवो वि हु अ-क्खुहिय- मण-वावारु कमेण । सालगुहाए महा-पुरिहिं पत्तउ सुह-उदएण ॥ [२१२८] तहिं पढाविउ सयलु धणु-वेउ वसुदेविण आयरिण भग्गसेण-अभिहाणु नरवइ । पउमावइ नाम निय- धूय सरय-ससि-जुण्ह-सम-मइ ॥ वियरिय तेण नराहिविण वसुदेवह कुमरस्सु । गच्छंति य दिण तीए सह तसु वर-विसय-परस्सु ॥ २१२५. २. पाणि त्रुटु (2); ख. धुवु वयणु. २११८. ५. क. सेसि. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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