SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४७८ [ २१०१ नेमिनाहचरिउ [२१०१] एहु सयलु वि मुणिवि मंतणउं मंदोयरि-नामियइ चेडियाए सिरि-सयर-निवइहि । आगंतु कहीउ अह धरणि-नाहु संगहिउ अ-रइहिं ॥ उवविसिऊण सयंवरह मंडवि नियय-पहाए । वच्चावइ निय-लक्खणई जा ता कुमर-सहाए ॥ [२१०२] इहु निलक्खण-कुक्खि महुपिंगु सव्वेसि निवंगयह इमहं मज्झि इय भणिवि दढयरु । निद्धाडिउ तह कह-वि जह न दिछ नयणिर्हि वि सु कुमरु ॥ सयर-नरिदिण पुणु सुलस वीवाहिय अइरेण । निय-निय-पुरि इयरे विगय समगु स-परिवारेण ॥ [२१०३] विण्हुरायह भवणि जाओ वि निव-वंस-मुत्तामणि वि सिरि-मुदाढ-निव-भाइणिज्जु वि । सिरि-सोमवंसुब्भवु वि सुलस-तरुणि-एगंत-जुग्गु वि ॥ निद्धाडिवि वल-वड्डिमहं हउं परिखिविउ विएसि। लुद्धिण सयर-निवाहमिण सुलसह तरुणिहि रेसि ॥ [२१०४] किंतु कहमवि जइसु तह जेण सव्वे वि-हु निव-अहम एइ हुंति अच्चंत-दुक्खिय । इहरह कह एरिसउं पावु करिवि हविहई सु-सिक्खिय ॥ इय चिंतिरु वि अ-पहविरउ तेस तिम्मि जम्मम्मि । उज्जमिउण अइ-दुक्करइ वाल-तव-क्कम्मम्मि ॥ २१०१. ६. क. पयंवरहं. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy