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________________ २१०० ] नवमभवि वसुदेववुत्तंतु [२०९७] वडुय-वेसिण वंभदत्तस्सु गेहंगणि कोउगिण गंतु पुरउ तसु सउरि जंपइ । जह - गोयम-गुत्तु दिउ तुम्ह पुरउ पढणत्थु संपइ ॥ चिट्ठहुँ पत्तउ इय पसिय मई वि पढावहु वेय । तयणंतरु वंभणु भणइ वेय हवंति दु-भेय ॥ [२०९८] तत्थ ताव य भरह-नाहेण कय आरिय-वेय इय फुड पुराण-सत्थिहि निसुम्मइ । इयरे उण जेण कय तमु सुणेह उप्पत्ति संपइ ॥ सिरि-चारणजुयलम्मि पुरि निवइ अजोहण-नामु । तसु पणइणि दिति-नाम पुणु असरिस-गुण-मणि-धामु ॥ [२०९९] तेसि निय-कुल-गयण-ससिलेह सुलस त्ति नामिण पयड धूय आसि अह अवर-वासरि । जणएण करावियइ तीए जोग्गि मंडवि सयंवरि ॥ रयणिहिं मंतणयम्मि निय- धृयह पुरउ भणेइ । जह - जुत्तिण माउलय-सुउ तइं महुपिंगु वरेइ ॥ [२१००] खिवसि जइ पुणु कसु वि अवरस्सु कंठम्मि वर-माल तुहुं ता महंतु मह असुहु हविहइ । अह सुलस समुल्लवइ जणणि-अमुहु नणु को णु करिहइ ॥ सो च्चिय निय-माउलय-सुउ हउं महपिंगु वरेसु । न-उण कह-चि वि सिविणगि वि जणणिहि असुहु करेसु ॥ २०९९. २. क. पयड. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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