SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५८ [२०२० नेमिनाहचरित [२०२०] भणइ पुणु जह - मई सु परिणेइ जो वीणा-वायणिण निज्जिणेइ तुम्हहं समक्खु वि । इय सयलु वि तरुण-जणु कामिणीए तहिं वद्ध-लक्खु वि ॥ मासह मासह अंति इह परियट्टेइ उदग्गु । सिरि-जसगीव-सुगीवयहं गुरुहुँ सविहि अणुओगु ॥ [२०२१] अह सुगीवह घरि समागंतु वसुदेवु कुऊहलिण सीस-भावु तमु संपवज्जिवि । नीसेस-कलालउ वि अ-मुणिरत्तु अप्पुणु हु पयडिवि ॥ अणु-दियहु विगंधव्व-कल अवहिउ अब्भस्सेइ । तहं चट्टहं मज्झ-ट्टियउ न-उ अप्पउं पयडेइ ॥ [२०२२] किर न-याणहुं वीण-गुण-ताललय-मुच्छा-ठाणगहं मज्झि किं-पि इय संपयासिरु । तणु-तंतिं आहणिरु मूलदेसि वीण वि अ-वाइरु ॥ तयणु जडो त्ति विचिंतिउण अवहीलियउ गुरूहिं । तह परिणेसइ इहु जि पर तरुणि स इय भणिरेहि ॥ [२०२३] हसिउ चट्टिहिं वहु-पयारेहिं अणुओग-दिणम्मि पुणु कीलणत्थु वर-कुसुम-वासिउ । ठिउ मंदिरि वणि-वरह महरिहम्मि आसणि निवेसिउ ॥ एत्थंतरि थिरु चंकमिर रूविण रइ विहसंत । सा तहिं आगय ससि-वयणि तरुणहं हियव हरंत ॥ २०२०. ३. क. समक्खु हि. २०२१. २ क. वसुदेव; ४ क. कलालओ. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy