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________________ नेमियुतंतु ६८७ [३०८८] कमिण मनिरु अप्पु कय-किच्चु पेक्खंतउ पुहुहु सिरि सुणिरु पुहुहु घण-गहिर-देसण । सुहि-सयणहं पुरउ पुणु भणिरु नियह भव-भाव-नासण ॥ रिद्धि-विसेस जिणेसरह भुवण-सिरो-रयणस्सु । पंच-विहाहिगमिण सविह- देसि पहुत्तु पहुस्सु ॥ [३०८९] अह नमंसिवि सामि-पय-पउम नीसेस-जायव-सहिउ उचिय-उचिय-आसणिहि निवसइ । तियसासुर-नहयरहं गणु वि नियय-ठाणेसु निवसइ ॥. तयणंतरु जिण-नायगिण भव-विराय-संवद्ध । जलहर-गंभीर-ज्झुणिण धम्म-क्कह पारद्ध ॥ जहा - [३०९०] जलिर-मंदिर-सरिसु संसारु निरुवदवु मुक्ख-पुरु दुहय विसय सुह-हेउ सिव-पहु । तणु चंचल धम्मु थिरु सुहउ सु-गुरु खलयणु दुहावहु ॥ अप्पु वि अ-नियंतिउ पिसुणु सु-नियंतिउ सु जि मित्तु । ता जइयन्वउं भवियणिण राय-दोस चइत्तु ॥ [३०९१] इय निसामिवि धम्म-कह विविह वरदत्तु महा-निवइ गलिय-चरण-आवरणु तक्खणि । दुहिं सहसिहिं निव-सुयहं समगमेव परितुछ निय-मणि ॥ पडिवज्जइ सामिहि पुरउ चाउज्जामु चरित्तु । उप्पाय-व्वय-धुव्व इय वयणई तिनि गहित्तु ॥ ३०८८. ९. क. omits पहुत; ख. स्सु for पहुस्सु. ३०९०. ४. क. तय(?), ख. तयणु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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