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________________ ६८६ aftereafte [३०८४] कमिण अम-तवह पज्जेति झानंतर रिह आ-जम्मु अ-लद्धयरु आसोयह अम्मासहं गरुर - ते हिंससिरविहि जायइ सुमुहुत्तम्मि ॥ घाइ कम्म संघाइ झीणइ । चाउरंग-भव - भमणि खीणइ ॥ चित्ता - नक्खत्तम्मि । Jain Education International 2010_05 [३०८५] अज्जु केवल-नाणु उप्पन्नु तयणंतरु सुर-गणिण नियय-नियय-अहिगार - जोगिण । अइरेण विजय सरणु समवसरणु as fafवह - भंगिण || ता वणयर-कय-1 प-तिदिसि पडिविंधु नेमि - जिण- इंदु | तहिं निवसिवि पुव्वाभिमुहु वियसिय-मुह-अरविंदु || [३०८६] चलिय- आसण - पत्त-सुर-असुर नर-नायग-सय- सहहं इय उज्जाणिय-नरिण तसु तोसिग उक्कोसियउं कणय- दाणु वियरेवि । गमिरागमिरिण सुर-गणिण पूरिउ गयणु निवि || सुग-मग्गु साहंतु चि । पहु-पणिहि विसयम्मिसि || [३०८७] समुदविजइण सहिउ सिवदेवि परियरिउ महुमहणु सयले हिं विजयविहि चलियउ सिरि- रहनेमि सिरिहरिस - वियासिय-मुह-कमल ३०८५. १. क. उप्पन्नुं फुरिय- गरुय - आणंद - वित्थरु | समगु असम-सिंगारसुंदरु || राइमईहिं समेउ । सामिहि वंदण - हेउ | [ ३०८४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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