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________________ नवमभवि पज्जुन्नचरिउ [२७०१] तयणु रुप्पिणि भणइ साणंद ar deer जिणवरिहिं तव पणीउ उक्किट्ठु वच्छरु । विहि एउ पुणु तई सु-दुक्करु ॥ अ-छ- मासाas fa न जइ देसि त देसु लहु हउं पुणु छुह-बिहुरंगु । तई सहुं तर न जंपिउ वि ता गमिरह मह चंगु ॥ २७०४ ] [२७०२] एत्थ - अंतरि वहिहि आगंतु नरनाह - निउत्तु इगु उत्तारवि चिहुर-भरु सच्च वि तारिस - वेस-धर तयतरु रुपिणी भणइ हरि वर-मोयग जइ जरहिं नणु सुइर - संचिय-तवह इह चिgs जं किं चि तुह तं भद्दे वियरेसु जह रुपिणी अइ दीण वयणिहि । पेसवे सच्चाए देवहि ॥ कह-वि पडिच्छ केस । पसरिय- असुह - विसेस | [२७०३] संतिय संति सु-सिद्धि Jain Education International 2010_05 ता पडिच्छ चेल्लणय पसिउण । मह समग्गु जरइत्ति मुणिउण || मंदिर विगयावाहु | मह नासर छुह-दाहु ॥ [२७०४] तयणु रुपिणि देइ जिजि के वि ते मोयग तक्खणि वि तत्थ ठिउ वि विज्जाणुहाविण । आहारइ खुड्डलउ अह स हि विम्हइणाइरिण || इत्थंतरि पयडीहविवि नारय - रिसि जंपेइ । नणु सुंदरि पज्जुन्नु इहु तुह अग्गइ लड्डेइ ॥ २७०१. ९. ताव. २७०४. ३. क. ठिओ. ५. क. विम्हइण only; ख. विम्हणोरुण. For Private & Personal Use Only ६०५ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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