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________________ ६०४ नेमिनाहचरिउ [ २६९३ [२६९३] तह पवन्नइ रिसिण कुमरो वि कय-वुड्ढ-दिय-रूवु लहु पत्तु सच्चहामाए सविहिहिं । ता खुज्ज-कुरूव-तणु चेडि एग तिण हणिय पट्टिहिं ॥ खण-मेत्तेण य सरल-तणु तविय-कणय-गोरंग । सच्चह पेक्खतिहि वि हुय चेडि चारु-सव्वंग ॥ [२६९४] सच्चविय तं च सच्चा पयंपए - विप्प मह वि पसिऊण । रूप्पिणि-रूवाओ अहिययरं रूव-स्सिरि कुणसु ॥ [२६९५] तो भणइ वंभणो - नणु साहाविय-रूव-संपया तं सि । रूवं हवइ विरूवे जह जायं तुज्झ दासीए॥ [२६९६] इय जइ विसेस-रूवं महसि तओ कुणमु सीस-मुंडणयं । जर-डंडि-खंड-वसणा वीभच्छ-तणू य हवसु लहु ॥ __"उरडू पुरडू ॐ नमः स्वाहा" [२६९७] एयं च महा-मंतं गेह-दुवार-ट्ठिया झियाएमु । पहर-पमाणं कालं तह दावसु भोयणं मज्झ ॥ [२६९८] अह भोइए भणेउं - इच्छियमेयस्स भोयणं देह । सयमवि जहुत्त-विहिणा लग्गा मंतं झियाएउं ॥ [२६९९] वियरंति सूययारा जं जं तं तं दिओ वि भुंजेइ । किं वहुणा भोज्ज-विहिं सयलं पि-हु तत्थ निट्ठविउं ॥ [२७००] हंत न तरह दाउ भोयणु वि एगस्स वि वंभणह इय भणेउ खुड्डलय-रूविण । सो पत्तउ रुप्पिणिहि भवणि थुणिउ तीए वि भत्तिण ॥ अह चेल्लणु भणइ-मई]किउ तवु सोलस-वरिसाइं । ता किं-चि वि वियरेसु लहु मह वंदेवई काई ॥ After २६९६. क. उरुडू. २७००. १. क. भोउ भोयणु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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