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________________ नेमिनाहचरिउ [२३४४ [२३४४] गंधोदय तह(?), पुप्फोदएहिं सुद्धोदएहिं सु-सुयंधएहि । व्हावंति जणणि जिणु मंगलेहि भूसंति वत्थ-वर-भूसणेहिं॥ [२३४५] तो उत्तर-कयलीहरि नयंति गोसीसु पवरु चंदणु दहति । वंधति रक्ख-पोद्दलिय ताण परिरक्खिय-सयल-जय-त्तयाण ॥ [२३४६] तुहं पचाउ (?) भव इय +भणंत रयणुप्पल वायहि सवण-पत्त । इय अहवण-तिलेवण-भूसणेहिं सक्कारिवि जण-मण-तोसणेहिं ॥ [२३४७] निव्वत्तिवि सयलु वि रक्ख-कम्मु इच्छंति य नर-सुर-सिद्धि-सम्मु । जिणु जणणिहिं सहिउ वि निति ताउ वास-हरि मणोहरि हरिसियाउ ॥ [२३४८] छप्पण्ण वि तो तहिं दिसि-कुमारि गायंतिउ चिट्ठहिं जिणु जियारि । [२३४९] इय सयल-कुमारिहि विविह-पयारिहि सूइ-कम्मि विहियइ जिणह । सोहम्म-सुरिंदहं नय-सुर-विदह होइ कंपु सीहासणह ॥ [२३५०] (१६) ओहि-नागेण तो ना य-जिग-जम्मणो झत्ति-परिचत्त-रयणमय-+सीहासणो पयई सत्तट्ट गंतूण परितुटुओ महिहिं उण नियय-लग्गंत-कर-मत्थओ ॥ [२३५१] जिणह पणमेवि सिरि विहिय-कर-+संपुडो भणइ सक्क त्थवं वयण-मण-संवुडो। करिवि गुण-गहणु जिणवरह सुर-सामिउ हरिणयन्नेसि आणवइ गय-गामिउ। २३४५. २. वदणु. ३. वंधति; ४. त्तयाणं. २३४६. १. भरणत. २३५०. २ सीहसिणो. २३५१. २, संछु(बु ?)डो. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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