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________________ बेर अधिक सूक्ष्म है। स्थूलताः-इसका तात्पर्य है बड़ापन। यह भी दो प्रकार का होता है। अत्यंत स्थूलता और आपेक्षिक स्थूलता। अत्यंत स्थूल है- अचित महास्कंध और आपेक्षिक स्थूलता है- बेर की अपेक्षा आंवले की स्थूलता।' ___संस्थानः-संस्थान (आकृति) पर्याय दो प्रकार का होता है- (1) इत्थंलक्षण और (3) अनित्थंलक्षण। इत्थंलक्षण:-जिसको परिभाषित किया जा सके जैसे गोल, तिकोना, चौकोना, लम्बा, चौड़ा आदि। अनित्थंलक्षणः-जिसको परिभाषित नहीं किया जा सके। जैसे बादल की आकृति आदि। भेद पर्यायः-भेद अर्थात् विभाजन। यह स्कंध के टूटने से बनती है। यह छः प्रकार की होती है, उत्कर, चूर्ण, खण्ड, चूर्णिका, प्रतर और अणुचटण। उत्करः-करोंत आदि से लकड़ी आदि को जो चीरा जाता है, वह उत्कर है। चूर्णः-जौ, गेंहु आदि का सत्तु कनक आदि जो बनाया जाता है, वह चूर्ण है। खंड:-घट आदि के जो कपाल और शर्करा आदि टुकडे होते हैं, खंड है। चूर्णिकाः-उड़द और मूंग आदि के जो खण्ड किए जाते हैं, वे चूर्णिका है। प्रतरः-बादल के बिखर-बिखर कर अलग-अलग जो पटल बन जाते हैं, वह प्रतर कहलाता है। अणुचटणः-तपाये हुए लोहे के गोले आदि को घन आदि से पीटने पर जो फुलंगे निकलते हैं वह अनुचरण है।' ___ अधंकार पर्यायः-दृष्टि का प्रतिबंधकर्ता अंधकार है। दीपक उस अंधकार को हटाने वाला होने के कारण प्रकाशक होता है।' 1. त. रा. वा. 5.24 10-11 488 एवं स. सि. 5.24 572 2. त. रा. वा. 5.24 12.13 488-89 3. स. सि. 5.24 573 4. त. रा.वा. 5.24 15.489 197 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002592
Book TitleDravyavigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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