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________________ पराक्रमेश । सुखेश सुंदर स्वभाव, सौभाग्यवान भाई की मृत्यु, कूरसेस्त्री, क्रूर ग्रहसे-देवरके अल्पायु, हाथमें नुक्स, शुभसेघरमें रहनेवाली स्त्री ज्यादा दोष नहीं होते हैं। कूरसे-पत्नी, श्वसुरको कूरसे-रोगी, दरिद्र, दुःखदायी; शुभसे पत्नी. दुष्टकार्य करनेवाला, श्वसुरकी सेवादार; मंगल से- | अल्पायुषी पत्नी व्यभिचारिणी होती है। भाग्यवान, देव-गुरु भक्ति- कटु वचनी, स्त्री रहित, कारक, पुत्रवान, मिष्ट- वक्रभाषी, भाई और भाषी, अच्छे स्वभावकी स्त्री पुत्रवाला होता है। कूरसे-विरोधी, क्रोधी, संग्रहणी रोगी, मंगलसंतापकारी स्त्री होती है। सांपसे, बुध-विषसे, चंद्रशुभसे-बाँझ स्त्री होती है। जलसे, सूर्य-सिंहसे मृत्यु; गुरु-दुष्ट बुद्धि, शुक्र-नेत्रदोष आयुष्यवान, प्रेमल, निर्मल वेश्याप्रेमी, अविवाहित, स्वभाव, तेजस्वी दुःखी चिंतायुक्त होता है। कूरसे-भाई त्यागते हैं। शुभसे अच्छे भाई, धनवान भाईकी सेवा करें। पितासे अलग रहनेवाला, उनसे सुखेच्छा नरखनेवाला पिताके धर्ममें धार्मिक, विद्यावान होता है। सुज्ञानी, तिद्यावान, कवि, गायक, राजाका पूज्य, रूपवान, नाट्यरसज्ञ क्रूरसे-अपाहिज़, भाईका विरोधी, शास्त्र न माननेवाला, भिखारी तनयेश षष्ठमेश जायेश तेजस्वी, अच्छी प्रकृति, अच्छी स्त्री, कूरसे नंपुसक; लग्नेशकी दृष्टिसे नीतिवान हिंसक कठोर, वक्रमुखी, पापी, भाई रहित, देवगुरु न माने अष्टमेश उद्यमी, उपद्रवरहित, नीरोगी, धूर्त-कला प्रवीण, धूर्तोमें प्रसिद्ध भाग्येश क्रूरसे-पेटका रोगी, दुष्ट स्वभाव दुष्ट स्त्रीका द्वेष, स्त्रीके दोषसे मृत्यु प्राप्त होती है। सुंदर, रूपवान, सुलक्षणी, धनवान, धार्मिक सुकृत करनेवाली और पतिव्रता स्त्री होती है। पुत्रवती, रूपवती, पतिव्रता भक्ति,प्रीतिवान पत्नी भ्रातृप्रेमी, श्रेष्ठ, दानवीर, देव-गुरु-सगे-स्त्री आदिमें आसक्त दुष्ट, हिंसक, बेघर, अधर्मी, भाई रहित होता है। क्रूर ग्रहसे नंपुसक होता है। कूर, शुरवीर, दुष्ट माँ को दुःखदायी, अल्पजीवी, धूर्त, मृषावादी कर्मेश लाभेश तेजस्वी, अच्छा स्वभाववाला, संपत्तिवान, आयुष्यवान, एक पत्नीव्रती होता है। कूरसे दुष्ट, दुष्चरित्री, चतुर, स्वस्त्रीसे मृत्यु, शुभसे-वेश्या से मृत्यु होती है। व्ययेश श्रेष्ठ स्वभाव, अच्छे मित्रभाई.माता-धार्मिक. सत्यवादी और अच्छे स्वभाववाली होती है। बहुश्रुत, शास्त्रज्ञ, धर्म प्रसिद्ध, देव-गुरु भक्त; कूरसे-भाई. व्रत रहित होता है। तीर्थयात्रामें चंचल स्वभाव कूरसे-पापी, निरर्थक धन व्यय करे। कूरसे-अल्पायुषी, लंबी बिमारी, शुभसे-जीवितभी मृत सदृश, दुःखी होता है। आठ जनोंका पालक, कार्य-साधन न करें, द्रोही, शुभ ग्रहसेधन संग्रही होता है। दसम भाव द्वादश भाव लग्नेश राजा से लाभ, अच्छा स्वभाव, विद्वान-गुरुजनमाता का पूजक राजाके पास प्रसिद्धि एकादश भाव सुखी, पुत्रवान, प्रसिद्ध, तेजस्वी, बलवान, वाहनवाला होता है। कठोर काम करनेवाला दुष्ट, नीच, परदेशगामी, अभिमानी (100) Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002551
Book TitleSatya Dipak ki Jwalant Jyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranyashashreeji
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1999
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size22 MB
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