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________________ २१९ समन्वय, शान्ति और समत्वयोग का आधार - अनेकान्तवाद २१९ वास्तव में अनेकान्त क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है : "यदेव तत् तदेव अतत्, यदेवैकं तदेवानेकम् । यदेव सत् तदेवासत्, यदेव नित्यं तदेवानित्यमित्येकवस्तुवस्तुत्वनिष्पादक परस्पर विरुद्धशक्तिद्वयप्रकाशनमनेकान्तः।" जो वस्तु तत्स्वरूप है वहीं अतत्स्वरूप भी है। जो वस्तु एक है वही अनेक भी है। जो वस्तु सत् है, वही असत् भी है। तथा जो वस्तु नित्य है वही अनित्य भी है। इस प्रकार एक ही वस्तु के वस्तुत्व के कारणभूत परस्पर विरोधी धर्मयुगलों का प्रकाशन अनेकान्त है। और भी देखिए - “सदसन्नित्यानित्यादिसर्वथैकान्तप्रतिक्षेपलक्षणोनेकान्तः । - देवागम - अष्टशती कारिका १०३ वस्तु सर्वथा सत् ही है अथवा असत् ही है, नित्य ही है, अथवा अनित्य ही है, इस प्रकार सर्वथा एकान्त के निराकरण करने का नाम अनेकान्त है। इस प्रकार अनेकान्त में परस्पर विरोधी प्रतीत होने वाले दो धर्म रहते हैं। अत: स्याद्वाद याने अनेकान्तवाद । नित्य और अनित्य आदि अनेक धर्मों से युक्त वस्तु के अभ्युपगम को स्याद्वाद कहते हैं। इस प्रकार स्याद्वाद और अनेकान्तवाद दोनों पर्यायवाची शब्द हुए। १. समयसार १०/२४७. आत्मख्याति २. स्यादिति अनेकान्तद्योतकम् अव्ययम्, ततः स्याद्वादः, अनेकान्तवादः नित्यानित्याद्यनेकधर्मशबलैकवस्त्वभ्युपगम् इति यावत् । - ‘स्याद्वादमंजरी' पृ.१५ सर्वनयात्मकत्वाद् अनेकान्तवादस्य । यथा विशालतानां मुक्तामणीनाम् एकसूत्रानुस्यूतानां हारव्यपदेशः एवं पृथगभिसंधीनां नयानां स्याद्वादलक्षणैक सूत्रप्रोतानां-श्रुताख्यप्रमाणव्यपदेशः। - ‘स्याद्वादमंजरी' पृ.२३६ स्याद्वाद-केवलज्ञाने, सर्वतत्त्वप्रकाशने। - अष्टसहस्री कारिका १०५, पृ. ३६१ । स्याद्वादप्रविभक्तार्थविशेषव्यंजको नयः । - वही कारिका १०६, पृ. ३६२ विधेयम् ईप्सितार्थगं, प्रतिषेध्यांविरोधि यत्। तथैवादेय-हेयत्वम् इति स्याद्वादसंस्थितिः । - अष्टसहस्री कारिका, ११३, पृ.३६४, । स्याद्वादिनो नायं तवैयं युक्तं नैकान्तदृष्टेः त्वमतोऽसि-शास्ता -स्वयंभूस्तोत्र कारिका १४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002545
Book TitleSamatvayoga Ek Samanvay Drushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherNavdarshan Society of Self Development Ahmedabad
Publication Year
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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