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________________ ३० बृहत्कल्पसूत्र तृतीय विभागनो विषयानुक्रम । विषय गाथा २६२९-७५ गृहपतिकुलमध्यवासप्रकृत सूत्र ३२-३३ ७३८-५० २६२९-६७ ३२ पहेलं गृहपतिकुलमध्यवाससूत्र ७३८-४८ निर्ग्रन्थोने गृहपतिकुलना वच्चोवच रहेq कल्पे नहि २६२९ गृहपतिकुलमध्यवासप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे सम्बन्ध ७३८ पहेला गृहपतिकुलमध्यवाससूत्रनी व्याख्या ७३८ २६३०-६७ मध्यपदनी विस्तृत व्याख्या ७३९-४८ २६३०-३२ मध्यपदना निर्वाहि-अनिर्वाहि सद्भावमध्य अने निर्वाहि-अनिर्वाहि असद्भावमध्य ए चार प्रकारो अने ते दरेकना शाला, मध्य, छिंडी ए त्रण प्रकारो अने तेने लगतां प्रायश्चित्तो ७३९ २६३३-४४ १ शालाद्वार ७३९-४२ निग्रंथोने शालामां वसवाथी थती हरकतो अने लागता दोषोनुं १ प्रत्यपाय २ वैक्रिय ३ अपावृत ४ आदर्श ५ कल्पस्थ ६ भक्त ७ पृथ्वी ८ उदक ९ अग्नि १० वीज अने ११ अवहन्न ए अगीआर द्वारथी वर्णन २६४५-५२ २ मध्यद्वार ७४२-४४ निर्ग्रन्थोने शालाना मध्यमां आवेला ओरडा वगेरेमा वसवाथी थती हरकतो अने लागता दोषोनुं उपरोक्त प्रत्यपायादि अगीआर द्वार उपरांत १ अतिगमन २ अनाभोग ३ अवभाषण ४ मजन अने ५ हिरण्य ए पांच द्वारथी निरूपण २६५३-५८ ३ छिंडीद्वार ७४५-४६ निम्रन्थोने छिंडीमां वसवाथी लागता दोषो २६५९-६७ शाला, मध्य अने छिंडीद्वारने लगती यतनाओ ७४६-४८ २६६८-७५ ३३ बीजं गृहपतिकुलमध्यवाससूत्र ७४९-५० निर्घन्धीओने गृहपतिकुलना वञ्चोवच वसवू कल्पे नहि १ आ ठेकाणे मूळमां गाथापतिकुलमध्यवासप्रकृतम् एम छपायुं छे तेने बदले गृहपतिकुलमध्यवासप्रकृतम् ए रीते वाचवू ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002512
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages364
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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