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________________ २२ गाथा पत्र बृहत्कल्पसूत्र तृतीय विभागनो विषयानुक्रम । विषय २३६५-६६ निम्रन्थो निष्कारण घटीमात्रक राखे तेने लगता प्रायश्चित्तो, तेनां कारणो अने तेने अंगे अपवाद 'धारयितुं परिहत्तुं' पदनी व्याख्या २३६८-७० निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने घटीमात्रक राखवानां कारणो अने घटीमात्रकना अभावने लगती यतनाओ ६७०-७१ २३६७ ६७१-७२ २३७१-८२ चिलिमिलिकाप्रकृत सूत्र १८६७२-७६ निम्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने कपडानी चिलिमिलिका पडदो राखवो अने तेनो उपयोग करवो कल्पी शके २३७१ चिलिमिलिकाप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध ६७२ चिलिमिलिकासूत्रनी व्याख्या ६७२ २३७२ 'धारयितुं परिहर्तुम्'पदनी व्याख्या अने सूत्रमा चेलचिलिमिलिकाने ग्रहण करवानुं कारण ६७३ २३७३ चिलिमिलिकानुं स्वरूप वर्णववामाटेनी द्वारगाथा ६७३ २३७४ १ भेदद्वार अने २ प्ररूपणाद्वार १ सूतरनी २ रजुनी-दोरीनी ३ वल्कनी-झाडनी छालनी ४ दंडनी अने ५ कटनी एम पांच प्रकारनी चिलिमिलिका अने तेनुं स्वरूप २३७५-७७ ३ द्विविधप्रमाणद्वार ६७३ निम्रन्थ-निम्रन्थीओए पांच प्रकारनी चिलिमिलिका पैकी कई केवडी अने केटली राखवी तेनुं प्रमाण २३७८-८२ ४ 'उपभोगो द्विपक्षे द्वार ६७४-७६ निफ्रंथ-निग्रंथीओ जे जे कारणसर चिलिमिलिकाओनो उपयोग करे ते कारणोनुं वर्णन ६७६-८९ २३८३-२४२५ दकतीरप्रकृत सूत्र १९ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने जलाशय, नदी आदि पाणीनां स्थानोनी नजीकमां अथवा किनारे ऊभा रहेवू, बेसबु, आडे पडखे थर्बु, उंची जवू, अशन-पान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002512
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages364
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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