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________________ गाथा २३४२-४४ २३४५-४९ २३५०-५२ २३५३-६१ २३५३ - ६१ २३६२-७० २३६२-६४ २३६२ २३६३ २३६४ २३६५-१० Jain Education International बृहत्कल्पसूत्र तृतीय विभागनो विषयानुक्रम । विषय दरवाजा विनाना उपाश्रयमां रहेती निर्ग्रन्थीओनी मात्रक विषयक तेमज सुवाने लगती यतनाओ निर्ग्रन्थीओए, तेमना उपाश्रयमां रात्रिना समये कोई मनुष्य पेसी गयो होय तेने काढी मूकवानो विधि विहार आदि प्रसंगे मार्गमां आवतां गामोमां सुरक्षित द्वारवाळो उपाश्रय न मळे त्यारे तेम ज तेवा उपाश्रयमां अणधार्यो भयजनक प्रसंग आवी पडे त्यारे तरुण वृद्ध साध्वीओए केम वर्त्ततुं तेनो विधि १५ बीजुं अपावृतद्वारोपाश्रय सूत्र निर्मथने दरवाजा विनाना उपाश्रयमां रहेवुं कल्पे बीजा अपावृतद्वारोपाश्रयसूत्रनी व्याख्या उत्सर्गथी निर्मन्थो उपाश्रयनां द्वार बन्ध न करे. अपवादपदे जे कारणसर दरवाजा बंध करी शके ते कारणोनुं निरूपण अने ते कारणसर द्वार बंध न करे तेने लगतां प्रायश्चित्तो घटीमात्रक प्रकृत सूत्र १६ - १७ १६ पहेलुं घटीमात्रक सूत्र निर्ग्रन्थीओने घटीमात्रक राखवुं अने तेनो उपयोग करवो कल्पे घटीमात्रकप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथै सम्बन्ध पहेला घटीमात्रक सूत्रनी व्याख्या निर्ग्रन्थीविषयक घटीमात्र कसूत्रने आचार्य प्रवर्त्ति - नीने न समजावे, प्रवर्त्तिनी पोतानी शिष्याओने न संभळावे तेमज निर्मन्धीओ ए सूत्रने न सांभळे तेने लगतां प्रायश्चित्तो निर्मन्थीओना घटीमात्रकनुं स्वरूप १७ वीजुं घटीमात्रक सूत्र निर्मन्थोने घटीमात्रक राख के वापर कल्पे नहि For Private & Personal Use Only पत्र २१ ६६४ ६६५-६६ ६६६ ६६७-६९ ६६७ ६६७-६९ ६६९-७२ ६६९ ६६९ ६६९ ६७० ६७० ६७०-७२ www.jainelibrary.org
SR No.002512
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages364
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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