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________________ - (१२) ___(राग - मनोहर मूर्ति महावीरतणी) नमो नेम नगीनो नभमणि, आव्यो पदवी भोगवी सुरतणी, मोक्ष पाम्यो अष्ट करम हणी, लही अक्षय ऋद्धि अनंत गुणी. १ इम वीस चार जिन जनमीया, दिग्कुमारीए हुलरावीआ, मीली मीली इन्द्राणीए गाइआ, धनधन माता जिणे जाइआ. २ नेमि जिनवर दिये देशना, भवि पंचमी करो आराधना, पंच पोथी ठवणी वीटांगणा, दाबडी जपमाला थापना. ३ जिन उत्तम पद पद्मने प्रणमे, करे सेवा दुःख हरे तस खिणमे, गोमेध जक्षने अंबादेवी, विध्न हरे नित समरेवी. ४ (१३) (आ स्तुतिओ चार वखत बोली शकाय) श्री नेमिजिन प्रणमी, सवि दुःख टाळु, सविजिन वंदी, अघ संचित गाळु, जिन आगमथी, जगमांहे अजवाळु, देवी अंबाइ, करे रखवाळु, (१४) (गिरनार-नेमिनाथ थोयना जोडा विभाग...) नेमिनाथ गुणना भंडार, चोवीश जिन बिंब जुहार; जेनी वाणी अमृत धार, अंबिकादेवी विन निवार. GO
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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