SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१५) गढ गिरनारे नमुं, नेमिजिनेश्वर स्वाम, चोवीशे जिनवर, जगतजीव विश्राम; अमृत सम आगम, सुणीये शुभ परिणाम, ___ अंबिकादेवी, सारे काज तमाम. (१६) दुरित भय निवारं, मोह विध्वंसकारं, गुणवंतमविकार, प्राप्त सिद्धि मुदारूं, जिनवर जयकारं, कर्म संक्लेशहारं, भवजलनिधितारं, नौमि नेमिकुमारं. १ अड जिनवर माता, सिद्धि सौधे प्रयाता, अड जिनवर माता, स्वर्ग त्रीजे विख्याता, अड जिनवर माता, प्राप्त माहेन्द्र साता, भव भय जिन त्राता, संतने सिद्धि दाता. २ ऋषभ जनक जावे, नागसुर भाव पावे, इशान सग कहावे, शेष कान्ता स्वभावे, पद्मासन सुहावे, नेम आद्यन्त पावे, शेष काउस्सग्ग भावे, सिद्धि सूत्र पठावे. ३ वाहन पुरूष जाणी, कृष्ण वर्णे प्रमाणी, गोमेद्य ने षट् पाणि, सिंह बेठी वराणी, सजी कनक समाणी, अंबिका चार पाणि, नेम भक्ति भराणी, वीरविजये वखाणी. ४ -
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy