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________________ श्री नेमिनाथ स्तुति जोडा विभाग (१) राजुल वर नारी, तेहना परिहारी, पशुआं उगारी, हुआ केवलसिरी सारी, पामीया घातीवारी. १ त्रण ज्ञान संयुता, मातानी कुखे हुंता, जन्मे पुरहंता, आवी सेवा करंता; अनुक्रमे व्रत लहंता, पंच समिति घरंता; महियल विचरंता, केवलश्री वरंता. २ सवि सुरवर आवे, भावना चित्त लावे, त्रिगडुं सोहावे, देवछंदो बनावे; सिंहासन ठावे, ठावे, स्वामिना गुण गावे, तिहां जिनवर आवे, तत्त्ववाणी सुणावे. ३ शासनसुरी सारी, अंबिका नाम धारी, जे समकिती नर नारी, पाप संताप वारी; प्रभु सेवा कारी, जाप जपीए सवारी, संघ दुरित निवारी, पद्मने जेह प्यारी. ४ (२) सुर असुर वंदित पायपंकज मयणमल्लमक्षोभितं, घन सुंघन श्याम शरीरसुंदर शंखलंछनशोभितं; शिवादेवीनंदन त्रिजगवंदन भविककमलदिनेश्वरं, गिरनार गिरिवरशिखर वंदो श्रीनेमिनाथजिनेश्वरं. १ अष्टापदे श्रीआदिजिनिवर वीर पावापुरी वरं, वासुपूज्य चंपानयर सिध्या नेम रैवतगिरिवरं; रूपथी रति हारी, ब्रह्मचारी; बालथी चारित्रघारी, • ८३
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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