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________________ (७) देव मारा आजथी तारो बनीने जाउं छु, दिलडाना देव मारा दिल दइने जाउं छु; मनडा केरी भक्तिनी महेंक, मूकतो जाउं छं, अंतरना आपेल आशिष, अंतरमां लइ जाउं छं. (८) फरी फरी मळवानो तमने कोल दइने जाउं छु, निभाववानो भार तारे, माथे मूकतो जाउं छु; श्वासे श्वासे नाम जपीश हुं, सोगंदथी कही जाउं छं, जुग जुग जीवो झाझी खम्मा, चरणो चूमतो जाउं छु, (९) आव्यो शरणे तमारा जिनवर, करजो आश पूरी अमारी, नाव्यो भवपार मारो तुम विण, जगमां सार ले कोण अमारी; गायो जिनराज आजे हरख, अधिकथी परम आनंदकारी पायो तुम दर्शनाशे भवोभव भ्रमणा नाथ सर्वे अमारी. (१०) जिने भक्ति जिने भक्ति जिने भक्ति दिने दिने, सदा मेऽस्तु सदा मेऽस्तु सदा मेऽस्तु भवे भवे. (११) उपसर्गाः क्षयं यान्ति, छिद्यन्ते विघ्नवल्लय; मन: प्रसन्नतामेति, पूज्यमाने जिनेश्वरे. (१२) सर्वमंगल मांगल्यं, सर्व कल्याण कारणम्; प्रधानं सर्व धर्माणां, जैनं जयति शासनम्.
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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