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________________ 85555555555555555555555555555555555555 भगवान् द्वारा उन श्रमणोपासकों की जिज्ञासा का पुष्कली आदि श्रमणोपासकों द्वारा खाते-पीते समाधान एवं उन ऋषिभद्रपुत्र से क्षमायाचना 211 पौषध का अनुपालन करना भगवान द्वारा ऋषिभद्रपुत्र के भविष्य के शंख तथा अन्य श्रमणोपासकों द्वारा भगवान सम्बन्ध में कथन 214 की सेवा मुद्गल परिव्राजक को विभंगज्ञान प्राप्ति 216 भगवान का उपदेश और शंख श्रमणोपासक विभंगज्ञानी मुद्गल द्वारा अपने अतिशय ज्ञान की निन्दादि न करने की प्रेरणा रकीपेरणा दर्शन की घोषणा और लोगों द्वारा प्रतिक्रिया 217 भगवान द्वारा त्रिविधि जागरिका-प्ररूपणा शंख द्वारा क्रोधादि कषाय-परिणामविषयक भगवान द्वारा मुद्गल परिव्राजक के कथन । प्रश्न और भगवान द्वारा उत्तर के विषय में सत्यासत्य का निर्णय 219 श्रमणोपासकों द्वारा शंख श्रावक से क्षमायाचना मुद्गल परिव्राजक द्वारा निर्ग्रन्थप्रव्रज्याग्रहण तथा स्वगृहगमन 244 एवं सिद्धिप्राप्ति 220 शंख की मुक्ति के विषय में गौतम स्वामी का बारहवां शतक : प्रथम उद्देशक : शंख प्रश्न, भगवान का उत्तर (और पुष्कली श्रमणोपासक) 223-246 . बारहवाँ शतक : द्वितीय उद्देशक : प्राथमिक 223 जयंती श्रमणोपासिका . 247-263 बारहवें शतक की संग्रहणी गाथा 226 जयन्ती श्रमणोपासिका और उससे सम्बन्धित दो श्रमणोपासकों "शंख" और "पुष्कली" का अन्य व्यक्तियों का परिचय संक्षिप्त परिचय ____ 226 जयन्ती श्रमणोपासिका एवं मृगावतीदेवी का भगवान का श्रावस्ती नगरी में पदार्पण राजपरिवार सहित भगवान की सेवा में गमन 249 तथा श्रमणोपासकों द्वारा धर्मकथा-श्रवण 228 कर्मगुरुत्व-लघुत्व सम्बन्धी जयन्ती के प्रश्न शंख श्रमणोपासक द्वारा पाक्षिक पौषध करने और भगवान द्वारा उनका समाधान का विचार एवं श्रमणोपासकों को विपुल भवसिद्धिक जीवों के विषय में चर्चा भोजन-सामग्री तैयार कराने के निर्देश 229 सुप्तत्व-जागृतत्व, सबलत्व-दुर्बलत्व शंख श्रमणोपासक द्वारा आहार त्याग कर ‘एवं दक्षत्व-आलसित्व के साधुता के विषय में परिचर्चा एकाकी पाक्षिक पौषध का अनुपालन पंचेन्द्रियों के वश आर्त बने हुए जीवों का आहार तैयार करने के उपरांत पुष्कली का बन्धादि दुष्परिणाम . शंख को बुलाने के लिए जाना 232 जयन्ती द्वारा प्रव्रज्याग्रहण और मोक्ष प्राप्ति 263 शंख श्रमणोपासक की पत्नी द्वारा पुष्कली का स्वागत एवं परस्पर प्रश्नोत्तर 234 बारहवाँ शतक : तृतीय उद्देशक : पुष्कली द्वारा शंख श्रावक को आहार सहित पृथ्वियाँ 264-265 पौषध का निमंत्रण, शंख द्वारा अस्वीकार 234 सात नरक पृथ्वियों के नाम-गोत्रादि का वर्णन 264 (16) 84555555555555555555555555555555555555
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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